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________________ १०१ धारवादेश ( २ ) शब्द संग्रह तट- - तडो विशाल -विसाल (वि) दया- दया वर्षा वरिसा घास-तणं आवाज – झुणि (पुं) धातुओं को आवेश नियम ७४२ (क्रिय: किणो वेस्तु क्के च ४५२) आदेश होता है । वि से परे हो तो विकण हो जाता है । खरीदता है | विक्रीणाति (विक्किणइ ) बेचता है | आराम --- सुहं अल्प - अप्पं (वि) जोर वेगो, वेओ नियम ७४३ (भियो मा-बीही ४१५३) बिभेति को भा और बीह आदेश होता है । बिभेति ( भाइ, बोहइ ) डरता है । भीतं ( भाइअं बीहिअं) डरा हुआ । बहुलाधिकारात् भीओ । क्रीणाति को किण क्रीणाति ( किणइ ) नियम ७४४ ( आलीङोल्ली ४१५४) आलीयति को अल्ली आदेश होता है | आलीयति (अल्लीअइ) लीन होता है । आलीनो (अल्लीणो ) । नियम ७४५ ( निलीङ णिलीअ - णिलुक्क - णिरिग्ध-लुक्क लिक्क हिक्का: ४१५५) निलीङ को छ आदेश विकल्प से होते हैं । निलीयते ( णिलीअइ, णिलुक्कइ, णिरिग्धइ, लुक्कइ, लिक्कड़, ल्हिक्कइ, निलिज्जइ) छिपता है । नियम ७४६ (विलीङविरा ४।५६ ) विलीङ को विरा आदेश विकल्प से होता है । विलीयते ( विराइ, विलिज्जइ) पिघलता है, नष्ट होता है । नियम ७४७ (रुते रुञ्ज-रुण्टी ४१५७) रौति को रुञ्ज और रुण्टये दो आदेश विकल्प से होते हैं । रौति ( रुञ्जइ, रुण्टइ, रवइ) आवाज करता है । Jain Education International नियम ७४८ ( टेर्हणः ४।५८ ) शृणोति को हण आदेश विकल्प से होता है । शृणोति ( हणइ, सुणइ ) सुनता है । नियम ७४९ ( धुगेर्बुवः ४५५६ ) धुनाति को ध्रुव आदेश विकल्प से होता है । घुनाति (घुवइ, घुणइ ) हिलाता है, कंपाता है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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