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धात्वादेश (१)
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वह अपना नया घर बनाता है । उसका पुण्य क्षीण होता है। प्राकृत में अनुवाद करो
एक बार एक राजा अपना कारावास देखने गया। उसने वहां के सभी कैदियों को देखना चाहा। कारावास का अधिकारी सभी कैदियों को एक-एक करके राजा के सामने लाया। राजा ने सभी से अपने दोष को कहने के लिए कहा, जिसके कारण उन्हें कारावास का दंड मिला था। सभी ने कहा हम निर्दोष थे। राजा ने पुनः उन लोगों को कारावास में भेज दिया। अंत में एक योग्य मनुष्य आया और राजा के सामने खडा हो गया। राजा ने वही प्रश्न उससे भी किया। उसने उत्तर दिया-मैंने अपने गांव में एक धनी की कीमती अंगूठी चुराई थी। इसलिए मैं इस दण्ड के योग्य हूं। राजा उसकी दोष-स्वीकृति पर प्रसन्न हो गया और मुक्ति के लिए आज्ञा देते हुए कहाइसने चोरी की है इसलिए यह दण्डित हुआ। अब यह सत्य बोलता है इसलिए यह पुरस्कार के योग्य है।
प्रश्न
१. गुहा, दोहि, उअहि, थोअ, खयाणल, गहिर, कज्जलाव, पवअ, अमुणिअ
और उइअ शब्दों के अर्थ बताओ। २. नीचे लिखी धातुएं किन-किन धातुओं के आदेश हैं ? झा, मुण, जाण,
वसुआ, आइग्घ, पिज्ज, णिव्वर, गीरव, पव्वाय, णिज्झर, अब्भुत्त, चिट्ठ, थक्क, उङघ, ओहीर, बोल्ल, जंप, साह ।
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