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________________ शतृ और शान प्रत्यय माणो, हसावेमाणो (हसयन्) हंसाता हुआ। (२) भाव में शतृ-शान के रूपहस-हस् + इज्ज -न्त हसिज्जतं हस् ---इज्ज+माण हसिज्जमाणं । (हास्यमानं) हंसा जाता हुआ, हस्+ ईअ+न्त हसीअंतं । हंसने में आने वाला . हस् --ईअ.+माण हसीअमाणं ख-भविष्यत् शतृ-शान के रूप भविष्यत् काल में शतृ शान प्रत्ययों के स्थान पर धातु से स्सन्त, स्समाण, स्सई प्रत्यय होते हैं। हसिस्संतो, हसिस्समाणो, हसिस्सई (हसिष्यन्ती)। (३) कर्मवाच्य में शतृ-शान के रूप पुंलिंग-भणीअंतो, भणिज्जतो गंथो (भण्यमानो ग्रन्थः) पढा जाता हुआ. ग्रंथ। भणीअमाणो, भणिज्जमाणो सिलोगो (भण्यमानः श्लोकः) पढा जाता हुआ श्लोक। स्त्रीलिंग-भणीज्जती, भणीअंती गाहा (भण्यमाना गाथा) पढी जाती हुई गाथा । भणिज्जमाणी, भणीअमाणी भणिज्जई, भणीअई पंती (भण्यमाना पङिक्तः) पढी जाती हुई पंक्ति । नपुंसकलिंग-भणीअंतं, भणीअमाणं, भणिज्जतं, भणिज्जमाणं पगरणं (भण्यमानं प्रकरणं) पढा जाता हुआ प्रकरण । ख-कर्मवाच्य में प्रेरणार्थक शतृ शान रूप भणाविज्जतो, भणाविज्जमाणो, भणावीअंतो, भणावीअमाणो मुणी (भण्यमानो मुनिः) पढाया जाता हुआ मुनि । भणाविज्जती, भणाविज्जमाणा, भणावीअंती, भणावीअमाणा, भणाविज्जई, भणावीअई साहुणी (भण्यमाना साध्वी) पढाई जाती हुई साध्वी । प्रयोग वाक्य सो वाउजाणेण विएसं गमिस्सइ । मज्झ गामे बप्फजाणं न आजाइ । संतिपसायस्स सेट्रिणो पासे केत्तिलाई तेलजाणाई संति ? अज्जत्ता पायजाणं घरे घरे अत्थि । भारवाहजाणेण दूरढाणत्तो अणेगाणि वत्थूणि आजाअंति, जाति य । पुव्वकाले रहस्स पओगो हुत्था। तुम्हे बलीवद्दजाणम्मि अहियं भारं न देह । गामे जणा महिसजाणेण खेत्तस्स अन्नं घरे आणेति । अहं आसजाणम्मि न आसामि । आसजाणं पिव गद्दभजाणं वि णयरे चलइ। मरुभूमीए उट्टजाणं मरुणो वाउजाणं कहिज्जइ। मए अग्निपोएण गंगाजत्ता कया। णावाहिं जलजत्ता केण न कया ? अम्हेहिं बंबईमहामयरे विसाल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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