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प्राकृत वाक्यरचना बोध नियम ७२० (शत्रानशः ३॥१८१) शतृ प्रत्यय को न्त और माण आदेश होता है । शान प्रत्यय को भी न्त और माण आदेश होता है। हस्---- हसन् (हंसतो, हसमाणो) हंसता हुआ। हो----भवन् (होअंती, होमाणो) होता हुआ। दा- ददन्, ददान: (दित, देंत, ददंत, देयमाण) देता हुआ।
नियम ७२१ (ईच स्त्रियाम् ३३१८२) स्त्रीलिंग में शतृ और शान दोनों प्रत्ययों को ई, न्त और माण-ये तीन आदेश होते हैं । न्त और माण के आगे आप (आ) या ईप (ई) और जुड़ जाता है। हसन्ती ।हसई, हसन्ती, हंसता, हसमाणी, हसमाणा) हंसती हुई ।
(वर्तमाना-पंचमी शतृष वा ३३१५८) नियम ५६२ से वर्तमान काल, पंचमी विभक्ति और शतृ प्रत्यय परे हो तो अ को ए विकल्प से होता है। (१) अंत आदेश के रूपहस्-(लिंग)--- हसंतो, हसितो, हसेतो (हसन् ) हंसता हुआ। (स्त्रीलिंग)-हसंती, हसिंती, हसेंती (हसन्ती) हंसती हुई।
__ हसंता, हसिता, हसेंता (हसन्ती) हंसती हुई। (नपुंसकलिंग)-हसंतं, हसितं, हसेंतं (हसत्) हंसता हुआ। हो--(पुंलिंग)--होअंतो, होइंतो, होएंतो, होतो, हुतो (भवन) होता हुआ। (स्त्रीलिंग)- होअंती, होइंती, होएंती, होती, हुती (भवन्ती) होती हुई ।
. होअंता, होइंता, होएंता, होता, हुंता , , , (नपुंसकलिंग)-होअंतं, होइतं, होएतं, होतं, हुंतं (भवत्) होता हुआ।
माण आदेश के रूप-- हस-(लिग)---हसमाणो, हसेमाणो (हसन् ) हंसता हुआ।
(स्त्रीलिंग)-हसमाणी, हसेमाणी, हसमाणा, हसेमाणा (हसन्ती) हंसती
(नपुंसकलिंग)-- हसमाणं, हसेमाणं (हसत्) हंसता हुआ। हो--(पुलिंग)-होअमाणो, होएमाणो, होमाणो (भवन्) होता हुआ। . (स्त्रीलिंग)-होअमाणी, होएमाणी, होमाणी, होअमाणा, होएमाणा,
होमाणा (भवन्ती) होती हुई। (नपुंसकलिंग)-होअमाणं, होएमाणं, होमाणं (भवत्) होता हुआ । . ई आदेश के रूपहस- (स्त्रीलिंग)----हसई, हसेई (हसन्ती) हंसती हुई। हो-( )-होअई, होएई, होई (भवन्ती) होती हुई ।
णिजंत (जिन्नन्त) में शतृ शान रूप--- हासंतो, हासेंतो । हसावंतो, हसावेतो। हासमाणो, हासेमाणो, हसाव
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