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शतृ और शान प्रत्यय
शब्द संग्रह (यान वर्ग) वायुयान-वाउजाणं (सं)
रेलगाडी-बप्फगं (सं) मोटर-तेलजाणं (सं)
मुसाफिरगाडी—पारिजाणिओ (सं) वस -- परिवहणं (सं)
ट्रक-भारवाहजाणं (सं) साइकल-पायजाणं (सं)
अगनवोट-अग्गिवोओ (सं) रथ-रहो
बैलगाडी-बलीवद्दजाणं भंसागाडी-महिसजाणं
घोडागाडी-आसजाणं ऊंटगाडी-उट्टजाणं
गधागाडी-गद्दभजाणं नौका--णावा
जलजहाज-जलजाणं
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लाइसेंस-आणावणं (सं)
टिकट- वहणदलं (सं) पेट्रोल-भूतेलसारो (सं)
रेल की लाइन-लोहसरणि (पुं)
धातु संग्रह आहा-कहना
आसास-आशा करना आहर-छीनना, खींच लेना
आहर-लाना आहार-खाना
आहल्ल—हिलना आहिंड-घूमना
आहव-बुलाना आसास-आश्वासन देना,
आहम्म--आना सान्त्वना देना शत-शान प्रत्यय
हिन्दी भाषा में जाता हुआ, खाता हुआ, पीता हुआ आदि अर्थों में शतृ और शान प्रत्यय आते हैं। ये दोनों वर्तमान कृदन्त के प्रत्यय हैं। ये प्रत्येक धातु से वर्तमान अर्थ में होते हैं। जहां ये भविष्यत् अर्थ में होते हैं वहां 'स्स' प्रत्यय और जुड जाता है। इनके रूप तीनों लिंगों में व्यवहृत होते हैं । संस्कृत भाषा में शतृ प्रत्यय परस्मैपदी धातुओं से और शान प्रत्यय आत्मनेपदी धातुओं से होता है। प्राकृत भाषा में यह भेद नहीं है। शतृ प्रत्यय को जो आदेश होता है वहीं शान प्रत्यय को आदेश होता है, इसलिए दोनों प्रत्ययों के रूपों में भेद नहीं होता। हेमचंद्राचार्य ने जिसे आनश् प्रत्यय की संज्ञा दी है, भिक्षुशब्दानुशासन में उसकी शान प्रत्यय संज्ञा है ।
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