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________________ ३५८ प्राकृत वाक्यरचना बोध गतम् (गामिअं, गमितं) गया हुआ। हसितं (हसिअं, हसितं) हंसा हुआ। कर्म में क्त प्रत्यय के रूप--- पढिआ विज्जा (पठिता विद्या) गमिओ गामो (गत: ग्राम:) भणियं नाणं (भणितं ज्ञानं) संस्कृत शब्दों से बने प्राकृत के क्त प्रत्यय के रूप गयं (गतम्) गया हुआ । तप्तम् (तत्तं)तपा हुआ। मतम् (मयं) माना हुआ। दृष्टम् (द8, दिट्ठ) देखा हुआ । कुतम् (कडं) किया हुआ । कृतम् (कयं) किया हुआ। हृतम् (हडं) हरण किया हुआ । मृष्टम् (मट्ठ) शुद्ध किया हुआ । मृतम् (मडं) मरा हुआ। म्लानम् (मिलाणं) कुम्हलाया हुआ। जितम् (जिअं) जीता हुआ। आख्यातम् (अक्खायं) कहा हुआ । निहितम् (निहियं) स्थापित किया हुआ । संस्कृतम् (सक्कयं) संस्कृत । आज्ञप्तम् (आणत्तं) आज्ञा किया हुआ। विनष्टम् (विनट्ठ) विनष्ट । संस्कृतम् (संखयं) संस्कृत किया हुआ। हतम् (हयं) मरा हुआ। आकृष्टम् (आकुट्ठ) आक्रोश किया हुआ। जातम् (जायं) पैदा हुआ। प्रणष्टम् (पणट्ठ) नाश । ग्लानम् (गिलाणं) ग्लान हुआ। प्ररूपितम् (परूविअं) प्ररूपित किया हुआ। स्थितं (ठियं) स्थित । पिहितम् (पिहिअं) ढका हुआ। प्रज्ञप्तम् (पण्णत्तं) कहा हुआ। प्रज्ञपितम् (पण्णविअं) प्रज्ञापित किया हुआ। क्लिष्टम् (किलिट्ठ) क्लेशयुक्त । स्मृतम् (सुअं) स्मरण किया हुआ। श्रुतम् (सुर्य) सुना हुआ । संसृष्टम् (संसट्ठ) संसर्ग युक्त । घृष्टम् (घ४) घिसा हुआ। नियम ६१६ (क्तेनाप्फुण्णादयः ४।२५८) क्त प्रत्यय सहित आक्रम आदि धातुओं के स्थान में अप्फुण्ण आदि शब्द निपात हैं । आक्रान्तः (अप्फुण्णो)। उत्कृष्टम् (उक्कोस) । स्पष्टम् (फुडं) । अतिक्रान्तः (वोलीणो)। विकसितः (वोसट्ठो)। निपतितः (निसुट्टो)। रुग्ण: (लुग्गो)। नष्ट: (ल्हिक्को)। प्रमृष्टः, प्रमुषितोवा (पम्हुट्ठो) । अर्जितम् (विढत्तं) । स्पष्टम् (छित्तं) । स्थापितम् (निमिअं)। आस्वादितम् (चक्खिअं)। लूनम् (लुअं) । त्यक्तम् (जढं) । क्षिप्तम् (झोसिअं)। उद्वृत्तम् (निच्छूढं) । पर्यस्तम् (पल्हत्थं, पलोढें)। हेषितम् (हीसमणं)। प्रयोग वाक्य सो तुज्झ विरहं सहिउ' असंथडो अत्थि । केसि वि अवहेरी न कायव्वा । दुब्भिक्खम्मि अन्नं दुलहं (दुर्लभ) भवइ । साहगो अवहिट्ठ न इच्छइ । अट्टमट्टाए वत्ताए समयो न पूरिअव्वो। गामम्मि अहिहरं केण णिम्मियं अस्थि ? संसारे केत्तिलाइं अब्भुयाई संति ? अब्भुत्ति वत्थं मज्झ न रोएइ । तस्स अवरि किं अलग्गं अत्थि ? महापुरिसेण सह अवरिक्कणिवेअणं न कायव्वं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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