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क्त प्रत्यय
शब्द संग्रह (स्फुट)। विरह-अवहायो
पुराना मंदिर---अहिहरं (दे०) असमर्थ-असंथड (वि)
आश्चर्य-अब्भुयं तिरस्कार-अवहेरी
चमकदार, प्रकाशित-अब्भुत्तिअ (वि) दुभिक्ष-दुभिक्खं
दोष का झूठा आरोप-अलग्गं (दे०) मथुन-अबहिट्ठ (दे०)
अनवसर---अवरिक्क (वि) निरर्थक-अट्टमट्ट (वि) (दे०)
धातु संग्रह आवास-वास करना, रहना ___ आवीड-पीडना आवा-पीना
आवेस-भूताविष्ट करना आविअ--पीना
आस-बैठना आविध-बींधना
आसंघ-संभावना करना आधिहव-प्रगट होना
आसाअ-स्वाद लेना, चखना क्त प्रत्यय
क्त प्रत्यय का प्रयोग भूतकाल के अर्थ में होता है। यह कार्य की समाप्ति बताता है। किया, गया, खाया, पीया आदि । क्त प्रत्यय सब धातुओं से होता है। सकर्मक धातु से कर्म में और अकर्मक धातु से भाव तथा कर्ता में होता है। भाव में प्रत्यय होने से धातु के रूपों में नपुंसक लिंग और एक वचन होता है। कर्म में प्रत्यय होने से कर्म के अनुसार धातु (क्रिया) के रूप तीनों लिंगों में होते हैं। कर्ता में प्रत्यय होने से कर्ता के अनुसार धातु के रूप तीनों लिंगों में होते हैं। क्त प्रत्यय के स्थान पर प्राकृत में त और अप्रत्यय होता है। .
नियम ७१८ (क्ते ३।१५६) क्त प्रत्यय परे होने पर पूर्ववर्ती अ को इ हो जाता है। गम्-गतः (गमिओ) गया। हस्-हसितः (हसिओ) हंसा । चल्-चलितः (चलिओ) चला। पठ्-पठितः (पढिओ) पढा । .
प्रेरक (जिन्नन्त) में क्त प्रत्ययकर-कारितः (कारिओ कराविओ) करवाया हुआ। : हस्-हासितः (हासिओ, हसाविओ) हंसाया हुआ। भाव में क्त प्रत्यय के रूप
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