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क्त प्रत्यय
धातु प्रयोग
अहं रायहाणीए आवासामि । घरसामी रत्तीए दुद्धं आवाइ । भसलो काण रसं आविइ । रामस्स सराई लक्खं आबिधइ । साहणाए णिम्मलभावेण किं नाणं आविहवइ ? खेत्तसामी खेत्ते उक्खुं आवीडइ । तस्स भज्जाए भूओ (भूत) आवेसइ । गिम्हकाले रुक्खछायाए अहं आसामि । अहं आसंघामि तुमं साहुतं अंगीकरिस्ससि । सो पत्तेयं वत्थु आसाएइ ।
प्रत्यय प्रयोग
को मुणी विएसे गओ ? लोएसेण आयारसुत्तं पढिअं । सावगेण साहुट्ठाणं गयं । मए जोइसविज्जा पढिआ । रिसभेण दसवेआलियं सुत्तं भणियं । तुमए तस्स माला कहं हडा ? केण पुण्णरूवेण मणो जिओ । महिंदेण न कोवि आकुट्ठो । तुम कत्थ जाअं ? भगवया महावीरेण किं अक्खायं अत्थि अमुम्म विसये । विमलो मट्ठ जलं न पिवइ । कि एअं नीरं तत्तं ? अत्थ मग्गे केण दुद्धपत्तं निहियं ? किं तुमए चंदलोअं दिट्ठ ? सीहेण मिग्गो अप्फुण्णो । तस्स गाणं फुडं अत्थि । अज्ज भोयणस्स सव्वं वत्थु केण जढं । चक्खि ।
तेण महु जीवणे न
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प्राकृत में अनुवाद करो
विरह को सहन करने वाला साधक होता है । वह आगम के शोध का कार्य करने में असमर्थ है। उसने तुम्हारा तिरस्कार कब किया था ? दुर्भिक्ष में मनुष्य धैर्यं (धिज्जं ) खो देते हैं । उसे मैथुन से विरति हो गई है । वह निरर्थक कार्यों में धन देता है । वह पुराने मंदिर को नया बनाता है । तुम्हारा यहां आना मुझे आश्चर्य लगता है । सूर्य के प्रकाश से प्रत्येक वस्तु प्रकाशित हो जाती है । उसने तुम्हारे पर आरोप क्यों लगाया ? जो अनवसर में बात करता है, वह सफल नहीं होता ।
धातु का प्रयोग करो
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पक्षी रात में वृक्षों पर वास करते हैं प्यासे पशु तालाब में पानी पीते हैं। पपीहा वर्षा की बूंदों को पीता है। जंगल में शिकारी (लुद्धो) ने हरिण को बींधा । किस साधु को अवधिज्ञान प्रगट हुआ है ? तेली पत्नी को पीडता है । सुशीला के ही शरीर में भूताविष्ट क्यों हुआ ? कुत्ता रात को गली में बैठता है । मैं संभावना करता हूं तुम इस वर्ष एकान्त साधना करोगे । वह मदिरा को क्यों चखता है ?
प्रत्यय प्रयोग
साधुत्व को छोडकर वह घर में क्यों गया ? उसने तुम्हारा काव्य ध्यान से पढ़ा है । यह कार्य तुमने स्वयं नहीं किया है, अपितु तुमसे कराया
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