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प्राकृत वाक्यरचना बोध
होता है उसको विकार्य कहते हैं । जैसे— स्वर्णकार सोने का कुण्डल बनाता है । ३. प्राप्य - जिसमें क्रिया से कुछ भी विशेषता न होती हो उसे प्राप्य कहते हैं । जैसे—मैं चन्द्रमा को देखता हूं। इसमें न तो कुछ भी उत्पन्न होता है और न विकृत ही ।
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कर्तृवाच्य में कर्म में द्वितीया विभक्ति होती है । कर्म-वाच्य में कर्म में प्रथमा विभक्ति होती है और क्रिया में लिंग और वचन कर्म के अनुसार होते हैं
प्रयोग वाक्य
पज्जओ महावीरं गच्छइ । बप्पो सीयं जलं पिब । मायामही बहु बीes | पिआमही सव्वं जाणइ । माउलो सच्चं जंपित्था । मायामहो कि जिंघई ? पिआमही जिणं सुमरइ । मल्लाणी पासणाहं अरिहेइ । अज्जिआ कह कहइ ? अज्जओ सह भुंजइ । पज्जिआ जणणि आसिस ( आशीष ) देइ । माआ कि इच्छइ ? पिऊ उज्जाणम्मि अइ । मामी भिक्वारिं किमविण देइ । जयमाला कुसुमं पतारइ । तस्स भज्जा चुण्णं (आटा) पीसह । माउलो अमरं जंप | अहं किमवि न इच्छामि । तुमं कहं हससि ? तुज्झ अक्खराणि अईव सुंदरं संति । माउलपुत्तो किमवि न कहइ ।
प्राकृत में अनुवाद करो
दादा ने पिता का पालन किया। दादी कहानी कहती है । परदादा मामा को देखता है । परदादी एक बार खाती है । नानी सदा डरती है । मामी महावीर की पूजा करती है। माता क्या सूंघती है ? मामा क्या चाहता है ? दादा कथा सुनता है । नाना सब जानता है। दादी सदा ठंडा पानी पीती है । नानी बार-बार नहीं खाती। पिता सत्य बोलता है । वह कुछ नहीं चाहता । तुम कैसे पढते हो ? राम अतीव सुन्दर बोलता है। माया का पुत्र कथा कहता है ।
प्रश्न
१. कर्म कितने प्रकार के होते हैं ? प्राप्यकर्म किसे कहते हैं ?
२. कर्म में कौनसी विभक्ति होती है ?
३. नीचे लिखे शब्दों के प्राकृत शब्द बताओ-
परदादा, मामी, पिता, नाना, मामा, मां, परदादी, नानी ।
४. नीचे लिखी धातुओं के अर्थ बताओ
अरिह, सुमर, जिंघ, पीस, पतार, दा, कह ।
५. देव शब्द के सारे रूप लिखो ।
६. नीचे लिखे अव्यय किस अर्थ में प्रयुक्त होते हैं ? अग्गे, विणा, अवि, अग्गओ, अईव ।
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