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________________ प्रेरणार्थक प्रत्यय(३) - शब्द संग्रह विस्ती और मार्ग वर्ग] ग्राम-गामो महानगर--महाणयरं बडा कस्वा-दोणमुहं राजधानी-रायहाणी नगर-णयरं व्यापारीनगर-पट्टणं उपनगर- उवणयरं सड़क--महापहो, रायमग्गो छोटीवस्ती (गांव)-पल्ली (स्त्री) मार्ग-मग्गो मुहल्ला---गोमद्दा (दे.) रच्छा । गली-वीहि (स्त्री) हवेली-हम्मिओ (दे.) गुफा---गुहा, कफाडो (दे०) झोपडी--झंपडा (दे.) पगडंडी-पद्धइ कुटिया-इरिया (दे.) प्रासाद-पासायो, ० समस्या-समस्सा धातु संग्रह से, सेअ-सोना सोह-शोभना, चमकाना सेह-सिखाना साइज्ज-स्वाद लेना सोअ-सोना, शोक करना सार-ठीक करना। सोभ-शोभायुक्त करना सार-याद दिलाना सोह-शुद्धिकरना सारक्ख-- अच्छी तरह रक्षण करना नियम ६८४ (उन्नमेरुत्थंधोल्लालगुलुगुञ्छोप्पेलाः ४॥३६) : णि प्रत्ययान्त उद्पूर्वक नम् धातु को उत्थंघ, उल्लाल गुलुगुञ्छ, उप्पेल-ये चार आदेश विकल्प से होते हैं। उन्नमयति (उत्थंघइ, उल्लालइ, गुलुगुञ्छइ, उप्पेलइ, उन्नामइ) ऊंचा करता है, उन्नत करता है। नियम ६८५ (प्रस्थापेः पठ्ठव-पेण्डवी ४।३७) प्रस्थापयति को पट्टव और पेण्डव आदेश विकल्प से होते हैं । प्रस्थापयति (पट्टवइ, पेण्डवइ, पट्ठावइ) प्रस्थान करवाता है, भेजता है।... नियम ६८६ (विज्ञपेर्वोक्काबुक्की ४.३८) विज्ञापयति को वोक्क और अवुक्क आदेश विकल्प से होते हैं । विज्ञापयति (वोक्कइ, अवुक्कइ, विण्णवई) विज्ञप्ति करता है। नियम ६८७ (अर्परल्लिव-चच्चप्प-पणामाः ४॥३६) अर्पयति को Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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