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________________ ३४० प्राकृत वाक्यरचना बोध है ? सीता अपने सम्पूर्ण घर का मार्जन करती है । तुम दिन में बार-बार क्यों सोते हो ? वह रात में भी नहीं सोता है । तुम्हारी बात को वह अच्छी तरह ग्रहण करता है । किस चिता से उसका शरीर सूख रहा है ? जिन्नन्त धातुओं का प्रयोग करो वह वायु की गति से मन की तुलना करता है । उसका शरीर स्वस्थ है फिर भी वैद्य विरेचन क्यों करवाता है ? मोहन अध्यापक से सोहन को पिटवाता है । तुम अपनी पत्नी से दूध में पानी क्यों मिलवाते हो ? वह मिठाई को बाजार में खुली छोडकर धूल से धूसरित क्यों करवाता है ? तुम उसको पर्वत पर स्थित भगवान पार्श्वनाथ का मंदिर दिखाते हो। वह पर्वत पर देवालय करवाता है । तुम पुस्तकालय का उद्घाटन किससे करवाते हो ? वह अपने विस्तर को वेष्टित करवाता है । अहिंसा की यात्रा में साथ चलने के लिए वह तुम्हारी इच्छा करवाता है । क्या वह संभावना नहीं करता कि इससे वह उसका शत्रु बनेगा प्रश्न १. शिन् (णि) प्रत्ययान्त तुल, तड, मिश्र, रेचय और वश धातुओं को क्या-क्या आदेश किस नियम से होता है ? २. गुण्ठ, परिवाड, दाव, उग्ग, परिआल और आसंघ ये आदेश किस-किस धातु से हुए हैं ? ३. केसर, कस्तूरी, इत्र, गुलाबजल, केवडा जल, गूगल, अगर, तगर, कर्पूर, कुंदरु, खस, सुगंधबाला, मुलहठी, नख, चंदन, कंकोल, लोबान, शिलारस शब्दों के लिए प्राकृत शब्द बताओ । ४. सील, सुअ, संघ, सुज्भ, सुत्त, सुप, सुप्प, सुव, सुसमाहर, सुस्स इन धातुओं के अर्थ बताओ और वाक्य में प्रयोग करो । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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