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प्रेरणार्थक प्रत्यय (२)
३३६ दूरीकरेइ । लट्ठिमधुम्मि सेयवण्णा महुरपय त्थो भवइ । हिरिबेरम्मि कत्थूरीसमो सुगंधो भवइ । उसीरं तणस्स मूलं अस्थि । सिल्हगम्मि णिय्याससमो सुगंधो होइ । पुराणरुक्खस्स कट्ठम्मि अगरो कत्थइ मिलइ । धातु प्रयोग
सो मासम्मि चत्तारि सामाइयाणि सीलइ । सो सव्वा सुणइ, परं करेइ णियमईए । अहं पुष्फाई न सुंघामि । सो पायच्छित्तेण सुज्झइ। सिरीभिक्खुसद्दाणु सासणस्स सुत्ताइं केण सुत्तीअ ? सा भायणाणि सुपइ । साहू रोगं अन्तरेण दिणे कहं सुप्पइ ? अहं रत्तीए सिग्धं सुवामि । तुज्झ सरीरं कहं सुस्सइ ? तुमं सिक्खं सुसमाहरसि। जिन्नन्त धातु का प्रयोग
सो तुमं केण सह ओहामइ, तुलइ वा । वेज्जो रोगि विरेअइ, ओलुण्डइ, पल्हत्थइ वा। रमेसो सत्तुं अण्णेण पुरिसेण विहोडइ, आहोडइ, ताडइ वा । पिआ पुत्तेण सुद्धघयम्मि वणस्सइघयं वीसालइ, मेलवइ, मिस्सइ वा । को वत्थाई गुण्ठइ, उद्धृलेइ वा ? सो तुम्हे पोत्थयं दाऊण कहं विउडइ, नासवइ, हारवइ, विप्पगालइ, पलावइ, नासइ वा । तुम णियनव्वभवणं कं दावइ दंसइ, दक्खवइ, दरिसवइ वा ? को घडं परिवाडइ, घडेइ वा ? मंती सहाभवणं उग्गइ, उग्घाडइ वा। हत्थलिहियपोत्थयं को परिआलेइ, वेढेइ वा ? साहू तवस्सिं भत्तपाणपच्चक्खाणं सिहइ । किं तुमं न संभावसि मग्गे अवरोहं आगमिस्ससि ? प्राकृत में अनुवाद करो
वह मिठाई में केसर मिलाता है । इत्र की सुगंध से सारा कमरा भर गया । केवडे का जल ठंडा होता है । कस्तूरी मृग के नाभि में होती है। गुलाब जल बाजार में किसके पास मिलेगा ? पान में कर्पूर कौन खाता है ? लोग गर्मी में ठंडी हवा के लिए खस को काम में लेते हैं । तगर का मूल्य क्या है ? कुंदुरु कहां पैदा होता है ? लोबान का प्रयोग मुसलमान अधिक करते हैं । औषधि में सुगंधबाला के मूल का व्यवहार होता है । मुलहठी चीनी से ५० गुणा अधिक मीठी होती है । नख समुद्री जीव के मुख के ऊपर का आवरण है। क्या तुम्हारे पास शिलारस है ? कंकोल अंधापन को दूर करती है । हमारे घर में अगर है। धातु का प्रयोग करो
निद्रा कम करने का अभ्यास करना चाहिए। तुम मौन रहकर किस की बात सुनते हो ? कुत्ता चोर को पकडने के लिए क्या सूंघता है ? वह स्नान कर शरीर को शुद्ध करता है । वह रुई से कौन-सा वस्त्र बुनना चाहता
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