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प्राकृत वाक्यरचना बोध
नियम ६७५ (मिधे सालमेलवो ४।२८) णि प्रत्ययान्त मिथ् धातु को वीसाल और मेलव-ये दो आदेश विकल्प से होते हैं। मिश्रयति (वीसालइ, मेलवइ मिस्सइ) मिलाता है ।
नियम ६७६ (उर्दूले गुण्ठः ४।२६) उद्धृलयति को गुण्ठ आदेश विकल्प से होता है।
उद्ध्लयति (गुण्ठइ, उद्ध्लेइ) धूसरित करता है।
नियम ६७७ (नशे विउडनासव-हारव-विप्पगाल-पलावाः ४१३१) णि प्रत्ययान्त नश् धातु को विउड, नासव, हारव, विप्पगाल, पलाव-ये पांच आदेश विकल्प से होते हैं । नाशयति (विउडइ, नासवइ, हारवइ, विप्पगालइ, पलावइ, नासइ) नाश करवाता है ।
नियम ६७८ (दृशे दव-वंस-दक्खवाः ४१३२) णि प्रत्ययान्त दृश् धातु को दाव, दंस और दक्खव-ये तीन आदेश विकल्प से होते हैं।
दर्शयति (दावइ, दंसइ, दक्खवइ, दरिसइ) दिखाता है।
नियम ६७६ (घटेः परिवाडः ४।५०) णि प्रत्ययान्त घट् धातु को है परिवाड आदेश विकल्प से होता है। घटयति (परिवाडइ, घडेइ) घटाता है, संगत करता है।
__ नियम ६८० (उद्घटे रुग्गः ४।३३) णि प्रत्ययान्त उद्पूर्वक घट धातु को उग्ग आदेश विकल्प से होता है। उद्घाटयति (उपगइ, उम्घाडइ) खोलता है।
नियम ६८१ (वेष्टेः परिमालः ४१५१) णि प्रत्ययान्त वेष्ट धातु को परिआल आदेश विकल्प से होता है। वेष्टयति (परिआले, वेढेइ) वेष्टन करता है, लपेटता है।
___ नियम ६८२ (स्पृहः सिहः ४॥३४) णि प्रत्ययान्त स्पृह, धातु को सिह आदेश होता है । स्पृहयति (सहइ) चाहता है।
नियम ६५३ (संभावेरासंघः ४।३५) संभावयति को आसंघ आदेश विकल्प से होता है । संभावयति (आसंघइ, संभावइ) संभावना करता है। प्रयोग वाक्य
तेण कंकममीसियपयो कहं पिज्जइ ? पारसो गिम्हकाले पाडलपुष्फसारस्स पओगं करेइ । से जंतलेहणे पाडलजलं मग्गइ । सा केअइजलं नेत्तपीलाए नेत्तेसु पाडेइ । अमुम्मि गामम्मि केसि पासे महग्घा कत्थरी अत्थि ? सो कप्पूरेलाकंकोलं तंबोलं खाअइ। कप्पूरो सेयवण्णो होइ। तगरस्स अवरनामं सुगंधबाला अत्थि । कुंदुरुक्को सल्लईए (सल्लकी वृक्ष) णिय्यासो भवइ । नखं नक्खसरिसं होइ अओ नखं कहिज्जइ । अंगारे ठविएण लोवाणे सेयवण्णस्स धुम्मों (धूआं) णिस्सरइ । चंदणो सीयलदो भवइ । कंकोलो मुहस्स दुमंधत्तं
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