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________________ ६३ प्रेरणार्थक प्रत्यय (२) शब्द संग्रह [सुगंधित द्रव्य केसर-कुंकुमं कस्तूरी- कत्थूरी, कत्थूरिआ इत्र-पुप्फसारो गुलाबजल-पाडलजलं केवडाजल-केअइजलं गूगल-गुग्गुलो अगर—अगरो कर्पूर--कप्परो तगर-तगरो, टगरो कुंदरु-कुंदुरुक्को खस-उसीरं सुगंधबाला-हिरिबेरो मुलहठी-लट्ठिमहु (सं) नख-नखं (सं) चंदन-चंदणो कंकोलकंकोलो शिलारस-सिल्हगं लोहबान-लोवाणो (सं) मुसलमान-जवणो यंत्र-जंतं धुआं---धुम्मो धातु संग्रह सील-अभ्यासकरना सुप-मार्जनकरना सुअ-सुनना सुप्प-सोना सुंघ-सूंघना. सुव–सोना सुज्झ---शुद्धहोना सुसमाहर-अच्छी तरह ग्रहण करना सुत्त-बुनना सुस्स-सूखना नियम ६७२ (तुलेरोहामः ४॥२५) णि प्रत्ययान्त तुल् धातु को ओहाम आदेश विकल्प से होता है तुलयति (ओहामइ, तुलइ) तौलता है, तुलना करता है। __ नियम ६७३ (विरिचेरोलुण्डोल्लुण्ड-पल्हत्थाः ४।२६) वि पूर्वक रेचयति को ओलुण्ड, उल्लुण्ड और पल्हत्थ----ये तीन आदेश विकल्प से होते हैं । विरेचयति (ओलुण्डइ, उल्लुण्डइ, पल्हत्थइ, विरेअइ) विरेचन करवाता है। नियम ६७४ (तडेराहोड-विहोडौ ४।२७) णि प्रत्ययान्त तड् धातु को आहोड, और विहोड़ आदेश विकल्प से होता है। ताडयति (आहोडइ, विहोडइ, ताडइ) पिटवाता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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