SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 348
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तरतम प्रत्यय प्रयोग वाक्य रामो धणुणा बाल मारीअ । वावामे अहं मोग्गरं चलावेमि । सो कुहाडी कट्टा कट्टर । सो करकयेण रुक्खं कट्टइ । चक्को णरं मारिउ समत्यो । दीहकायो नागो अंकुसेण वसीभवइ । आसवरो कसं न इच्छइ । सुसीला छुरियाए सागं कट्टइ । रामस्स सरो बालीइ हिअये पविसीअ । भीमस्स गया सिद्धा अस्थि । सिवस्स तिसूलस्स उवओगो कि आसि ? देविंदो वज्जेण देवं मारइ | विजएण गुलिअत्थेण तिष्णि जणा मारिआ । सुसीला संकुलाई पोग्गफलाई कट्टइ । अमुम्मि गयरे अज्ज गुलिआजंतस्स पओगो कह जाओ ? किसीवलो गुंफणेण चडआओ मारइ । देविंदो कस्स उवरि वज्जं अक्विइ । धातु प्रयोग गोवालो धेणूओ हक्कइ । चोरो सुणिऊण अहं हरिसामि । झाणेण कोहो हाइ । तुमं कत्थ हिंडसि ? अणायारं हीलइ ? ३३१ प्रत्यय प्रयोग संपइ अत्थ मुणी जयचंदो साहुसु जेट्ठयरो अस्थि । कणिट्ठो साहू गिरीसो कि पढइ ? गरिट्ठ भोयणं साहूणं न हियअरं अस्थि । तेरापंथधम्मसंघे उच्चअमं पयं आयरियस्स अस्थि । अणुव्वयस्स पयारे भूयिट्ठो पयासो (प्रयास) केण कओ ? धातु का प्रयोग करो सेट्ठित्तो धणं हरइ । तुज्झ विआसं कमसो हसइ । सो जावज्जीवं सुरं सेवित्ता सो हिरिंसु । सो तुं कहं प्राकृत में अनुवाद करो राम के युग में धनुष का विशेष महत्त्व था । किसान ने कब कुल्हाडी से इस वृक्ष की शाखा को काटा ? आरा (करोत) विशाल वृक्षों को भी काट देती है । अंकुश बहुत छोटा होता है, पर शक्तिशाली होता है । तुम घोडे को चाबुक क्यों मारते हो ? आपकी छुरी किस पर चलेगी ? हनुमान की गदा से सब भयभीत हो जाते थे । उसका हृदय वज्र के समान कठोर है । त्रिशूल किन संन्यासियों की पहचान है ? मेरा मुद्गर किसके पास है ? सुदर्शन चक्र बडा शक्तिशाली है। तुम सरीता किस दुकान से लाए हो ? वीरेन्द्रसिंह के पास पिस्तौल है। मशीनगन कितनी दूर तक मार करता है ? उसने म्यान से तलवार निकाली । राम का तूणीर तुम ले जाओ । वज्र केवल देवों के इन्द्र काही शस्त्र है । Jain Education International किसान का लडका पशुओं को हांकता है । कसाई ( सोणिओ) बकरों For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy