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धनुष - धणू मुद्गर - मोगरो
कुल्हाडी —- कुहाडी, फरसू आरा - करकयो
चक्र — चक्को
अंकुश - अंकुसो चाबुक कसो
छुरी-छुरिया
०
म्यान – खग्गपिहाणयं
हक्क - हांकना, खदेडना
छीनना
हर-हरण करना, हरिस- खुश होना हव—होना हो --होना
खुद्द खुद्दअर
पडु
तरतम प्रत्यय
शब्द संग्रह ( शस्त्र वर्ग २ ) पिस्तौल - गुलिअत्थं (सं) मशीनगन-गुलिआजंतं (सं)
वाण- सरो
गदा गया
त्रिशूल - तिसूलं
सरीता - संकुला
पत्थर फेंकने का अस्त्र - गुंफणं
वज्र-
- वज्जो
पटुअर, पडीयस
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तरतम प्रत्यय
प्राकृत में एक की अपेक्षा से अच्छा के अर्थ में प्रत्यय तथा सबसे अच्छा के अर्थ में का प्रयोग संस्कृत के समान होता है । होते हैं । जैसे पिओ पुत्तो । पिआ धूया । पिअं पोत्ययं ।
शब्द अर (तर)
अम (तम )
गुरु गरीयस
पिअ पिअअर
उच्च उच्चअर
o
तूणीर तूणी, तूणा
धातु संग्रह
हस - हीन होना, कम होना त्यागना
हा हिंड-भ्रमण करना, जाना हिरि - लज्जित होना हील -अवज्ञा करना
अर (तर) और ईयस अम ( तम) और इट्ठ ( इष्ठ) प्रत्ययों विशेष्य के अनुसार इसमें तीनों लिंग
गरिट्ठ
पिअअम
उच्चअम
खुद्दअम पडुअम, पडिट्ठ
शब्द अर (तर)
तिक्ख
तिक्खअर
जेट्ठ
जेटुअर
भूयस
कणीअस
बहु
अप्प
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अम (तम ) तिक्खतम
जे अम
भूयिट्ठ
कणिट्ठ
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