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________________ ३२४ प्राकृत वाक्यरचना बोध ऊपर का। नियम ६५२ (भ्रुवो मया-डमया वा २११६७) भू शब्द से स्वार्थ में मया, डमया-ये दो प्रत्यय होते हैं । भ्रूः (भुमया, भमया) भौंह ।। नियम ६५३ (शनसो डिअम २।१६८) शनै: शब्द से स्वार्थ में डिअं (इअं) प्रत्यय होता है । सण + इ = सणिसं (शनैः) धीरे-धीरे। . नियम ६५४ (मनको न वा डयं च २।१६६) मनाक शब्द से स्वार्थ में डय (अय) और डिअं (इअं) प्रत्यय विकल्प से होते हैं । मणा-+ डयं मणायं (मनाक्) थोडा । मणा+ डिअंमणियं (मनाक्) थोडा। पक्ष में मणा (मनाक्) थोडा। नियम ६५५ (मिश्राड्डालि २११७०) मिश्र शब्द से स्वार्थ में डालिअ प्रत्यय विकल्प से होता है। मिश्रम् (मीसालिअं, मीसं) मिला हुआ। नियम ६५६ (रो दीर्घात् २॥१७१) दीर्घ शब्द से स्वार्थ में र प्रत्यय विकल्प से होता है । दीर्घम् (दीहरं, दीहं) दीर्घ, लम्बा। नियम ६५७ (त्वावेः सः २०१७२) संस्कृत में भाव में त्व, तल् आदि प्रत्यय होते हैं। उन प्रत्ययान्त शब्दों से स्वार्थ में त्व, तल आदि विकल्प से होते हैं । मृदुकत्वम् (मउअत्तया) मृदुता। नियम ६५८ (विधुत्पत्रपीतान्धाल्लः २।१७३) विद्युत्, पत्र, पीत और अन्ध शब्द से स्वार्थ में ल प्रत्यय विकल्प से होता है। विद्युत् (विज्जुला, विज्जू) बिजली । पत्रम् (पत्तलं, पत्तं) पत्र, पत्ता। पीतम् (पीअलं, पीअं) पीला । अन्धः (अन्धलो, अंधो) अंधा। प्रयोग वाक्य दो कण्हा सप्पा अत्थ केत्तिलत्तो समयत्तो वसंति ? अमुम्मि गामे के दहा विच्छिा संति ? सरडव्व रूवो न परिवद्रियव्वो । समुहस्स पासे वासियो पुरिसा मच्छा खाति । सो खाडहिलाए भीअइ । घरोलिया निसाए भोयणट्ठ भमइ । अयगरी दूरत्तो जीवा आकड्ढइ । णउलस्स सप्पस्स य जुज्झं भवइ । गोधाए डंसिओ नरो खिप्पमेव मरई। छच्छंदरस्स अवरनाम अत्थि गंधमूसिओ। धातु प्रयोग जो अक्कं ववइ सो अंबं कहं पाविस्सइ ? सो तुज्झ कज्जं पूरिइत्तए ववसइ । सो मए सह सम्मं न ववहरइ । तुम मज्झ हिययम्मि वससि । गद्दभोणवरं चंदणस्स भार वहइ । विच्छिओ जणा कहं वहइ ? संझाकाले देवालये को संखं वाएस्सइ ? अम्हे सिरी भिक्खुसद्दाणुसासणं को वाएहिइ ? आयरिओ महावीरस्स सिद्धतं वागरइ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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