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प्राकृत वाक्यरचना बोध प्रकार से। कुतः (कत्तो, कदो, कओ) कहां से, किससे । यतः (जत्तो, जदो, जओ) जहां से, जिससे । ततः (तत्तो, तदो, तओ) वहां से, उससे । इतः (इत्तो, इदो, इओ) यहां से, इससे ।
नियम ६४२ (प्रपो हि-ह-स्थाः २११६१) त्र प्रत्यय को हि, ह और त्थ ये प्रत्यय आदेश होते हैं ।
हि-ज+हि= जहि (यत्र) यहां । त+हितहि (तत्र) वहां । ह-ज+ह-जह (यत्र) यहां। त+ह-तह (तत्र ) वहां । स्थ-क+त्थकत्थ (कुत्र) कहां । अन्न+त्थ == अन्नत्थ (अन्यत्र)
दूसरे में। नियम ६४३ (वैकादः सि-सि-इआ २११६२) एक शब्द से परे दा प्रत्यय को सि, सि और इआ ये आदेश विकल्प से होते हैं। एक्कसि, एक्कसिअं, एक्कइआ, एगया (एकदा) एक समय में।
(डाह डाला इमा काले ३१६५) नियम ५११ से किं यत् और तत् शब्दों से कालवाची सप्तमी को डाह, डाल और इआ ये तीन प्रत्यय विकल्प से आदेश होते हैं।
___ कदा (काहे, काला, कइआ) कब । यदा (जाहे, जाला, जइआ) जब । तदा (ताहे, ताला, तइआ) तब ।
संस्कृत शब्दों से बने दा प्रत्यय के रूप
यदा (जया) जब । सर्वदा (सव्वया) हमेशा । कदा (कया) कब । अन्यदा (अण्णया) अन्य समय में । तदा (तया) तब । प्रयोग वाक्य
अंधो वि अण्णस्स साउज्जं अंतरेण सपण्णाए पहे चलइ । बहिरो किमवि न सुणइ । मूयो न जंपइ न सुणइ । काणेण लोआ भीअंति। कुंटो किं लिहिस्सइ ? सा खुज्जा कहं जाआ? सो कोढिअस्स पासे आसित्तए न इच्छा । एगया लक्खमणो (लक्ष्मण) वि मुच्छिरो जाओ । णिद्धणो पलंबंडो वुड्ढो चिइच्छं इच्छइ । कच्छुल्लो अणेगहुत्तो णियसरीरं कण्डूअइ। पंगू केण साहज्जेण (सहयोग) अत्थ आगओ ? एगया अहमवि अइसारिओ जाओ । बंगदेसे अणेगे जणा ददुला भवंति । वाइओ बहु किच्छं अणुभवइ । लोआ वडभं भगवंतस्स अवतारं मण्णंति । जरी संतचित्तेण मोगेण वा सव्वं सहइ । पित्तिओ किं खादि इच्छइ ? तुंदिलो पइक्खणं दुक्खं अणुभबइ । सासु को सिलिम्हिओ अस्थि ? सबलो सुंदरो न लम्गइ । कासिल्लो निसाए न निदाइ सुहेण । धातु प्रयोग
। सो ओसहिं लिहइ । अहं कल्लं लुचिस्सामि । साहू भविऊण चे धणं रक्खेज्न सो साहुत्त लुपइ । खेलम्मि बालो अण्णं बालं पासिऊण लुक्कइ ।
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