________________
विभक्त्यर्थ प्रत्यय
निदाए सो लुढईअ । कयावि न लुभियव्वं । सो लुडिउ अमुम्मि गामे आगओ। किं तुमं सूरं चक्खुहिं लोअसि ? प्रत्यय प्रयोग
____ एसो नरो को आगओ ? तुम जो आगो तत्थ चेअ गच्छ । नयरं इओ अइदूरं नस्थि । तुम तओ गाणं लह। जहि केत्तिला मुक्खा संति ? तेण सद्धि तुमं तहि गच्छ। कल्लं सो कत्थ गमिस्सइ ? एक्कसि अहं अत्थ आगओ। प्राकृत में अनुवाद करो
अंधे व्यक्ति के लिए संसार का रूप कुछ नहीं है । बहिरा व्यक्ति गूंगा भी होता है। गंगा जानकर भी वस्तु का स्वाद नहीं बता सकता । इस गांव के वामन व्यक्ति का नाम क्या है ? काणा कुबुद्धि चलाता है। लूला परवश होकर जीता है। कूबडे की दशा को देखकर जवानी में सावधान रहे । कोढी होने पर सुंदर रूप कुरूपता में बदल जाता है। लंगडा अंधे के सहयोग से मार्ग को पार कर जाता है । बेहोशीवाला कुछ समय के लिए मृत्यु के समान है। प्रलंब अंडवाला किस भोजन से या वायुमंडल से होता है ? खाज के रोगी को खाज प्रिय लगती है । दस्त रोगी दस मिनट भी शांति की नींद नहीं लेता है। आर्द्र प्रदेश की आर्द्रता से दाद के रोगी अधिक होते हैं। वायु के रोगी को क्या नहीं खाना चाहिए ? मोटे पेट वाला उठने और बैठने में कष्ट की अनुभूति करता है। बुखार वाले को आज अन्न मत खिलाओ । क्या पित्त का रोगी मीठा भोजन खाएगा? कफ का रोगी कोई भी बनना नहीं चाहता। रमेश चित्तकबरा कब हुआ ? खांसी वाला दही क्यों खाता है ? धातु का प्रयोग करो
तुमने आज मधु के साथ कौन सी दवा चाटी ? तुम काटना जानते हो, जोडना नहीं । साधु एक साल में कम से कम एक बार लुंचन करते हैं। सुरक्षा के अभाव में पशुओं की कई जातियां लुप्त हो जाएंगी। अविनयी गुरु से छिपना चाहता है । आयुष्य पूर्ण होने पर वह खाना खाते-खाते लुढक गया । तुम किसके लिए क्षोभ करते हो ? वे दिन में ही सबको लूटते हैं । मुंह धोने के बाद वह नहीं पोंछता है । वह सुंदर रूप को देखता है। प्रत्यय प्रयोग करो
प्रमादी को सब प्रकार से भय है । तुमने यह पुस्तक किससे ली है ? वह वहां से घर जाएगा। तुम्हारे भाई के विवाह में यहां से कोई नहीं आएगा। गुरु दर्शन करने वहां कौन जाएगा ? तुम यहां मत आओ। ये लोग कहां रहते हैं ? एक समय यह इस देश का राजा था । तुम ध्यान कब करोगे ? जब भारत स्वतंत्र होगा तब मैं अपने देश में वापस आऊंगा।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org