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________________ ३०६ धातु प्रयोग सो सिलोगा रयइ । पक्खिणो पच्चू से रवंति । सो अरण्णेव्व गिहे रसइ । संपइ को राइ ? सिसू माअरं राइ । जया राया रिज्झइ तया किमवि अवस्सं देइ । साहू भूमि अवलोइऊण रीइ । बालो केण कारणेण रुअइ । सासू वरस्स ( दुलहा ) मग्गं केण कारणेण रुंधइ ? दासी अण्णं रुचइ । प्रत्यय प्रयोग अज्जत्ता गामिल्ला जणा णयरे वसंति । सीयकाले हेट्ठिल्लं जलं उसणं भवइ । अप्पुल्लं सुहं केण लद्धं ? नयरुल्ला ववत्था गामम्मि न भवइ । घरिल्लं गावीए घयं सरीरस्स उसिणत्तं समइ । प्राकृत वाक्यरचना बोध प्राकृत में अनुवाद करो अति गरम दूध नहीं पीना चाहिए। बर्फ का ठंडा पानी स्वास्थ्य के लिए अहितकर है । ब्रह्मचारी की शय्या कठोर होनी चाहिए । रूखा आदमी स्नेह का व्यवहार नहीं करता । साधु को उपकरणों से हल्का रहना चाहिए । भारी वस्तु अच्छी नहीं होती । कोमल शब्दों का व्यवहार करो। चिकना पदार्थ अधिक नहीं खाना चाहिए । दूध शीतोष्ण पीना चाहिए। ऐसा पदार्थ कौन-सा है जो न भारी है और न लघु । धातु का प्रयोग करो वह ग्रन्थ की रचना करता है। अधिक नहीं बोलना चाहिए। बच्चा किसके लिए चिल्लाता है ? बाहर देखो, कौन शब्द करता है ? वह गूंद से पत्र चिपकाता है । तुम्हारे कार्य ने उसे रिझा लिया । मनुष्य अपनी गति से चलता है । जो काम में जाते समय रोता है वह क्या समाचार लाएगा ? वह तुम्हारे मार्ग को रोकता है। आज उसने क्या पीसा ? प्रत्ययों का प्रयोग करो ग्राम में होने वाली स्कूल में लडकियां सुविधा से पढ सकती 1 ध्यानगृह घर के नीचे है । यह नवनीत घर का है । क्रोध आदि आत्मा में होने वाले दोष हैं । नगर में होने वाले स्वागत का महत्त्व होता है । प्रश्न १. तत्रभवं शब्द का हिन्दी अर्थ क्या है ? २. भव अर्थ में प्राकृत में कौन-कौन से प्रत्यय होते हैं ? दो-दो उदाहरण दो । ३. गरम, ठंडा, कठोर, कोमल, रूखा, चिकना, हल्का, भारी शब्दों के लिए प्राकृत के शब्द बताओ । ४. रय, रस, रव, रा, रिज्झ, री, रुअ, संध और रुच धातुओं के अर्थ बताओ और वाक्य में प्रयोग करो । ५. अंतीहारी, गणई, दुल्लसिआ, रज्जवालो, जिलाहीमो, पहाणमंती, जसदो, सुवणं, रययं शब्दों को वाक्य में प्रयोग करो तथा हिन्दी में अर्थ बताओ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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