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________________ ३०४ प्राकृत वाक्यरचना बोध सोने का कुंडल तुम्हारे पास है । चांदी की तरह मन को उज्ज्वल रखो । कां की गिलास में वह पानी पीता है । काला लोह कहां मिलता है ? लोहे की संडासी हर घर में मिलती है । वह पीतल के बर्तन बेचता है ? जस्ता नेत्रों के लिए हितकर है। सीसा प्रमेहनाशक होता है । सोना बनाने में शुद्ध तांबा काम में आता है । अभ्रक चांदी के समान चमकती है । रांगे की भस्म औषधि में काम आती है । कलइ तांबे और पीतल के वर्तनों पर किया जाता है । धातु का प्रयोग करो लोभी मनुष्य अनेक वस्तुओं में मिश्रण करता है । उसने तुमको क्यों छोड दिया ? लक्ष्मण युद्ध में मूच्छित हो गया । उसने अपनी बहन को खुश कर दिया । धार्मिक संस्कारों से उसका मन रंग दो । उसका धर्म के प्रति अनुराग क्यों नहीं है ? सभाभवन में भिक्षु स्वामी का जीवन कौन उत्कीर्ण करेगा ? प्रत्यय का प्रयोग करो स्नेही व्यक्ति का हृदय स्नेह से पूर्ण होता है । दाढ़ी-मूंछ वाला मनुष्य अपनी दाढी और बढाता है । आज शब्द वाली हवा चलती है । इस मनुष्य में भक्ति बहुत है । लक्ष्मीवान् भी लक्ष्मी की पूजा करता है । रेखा वाला पत्र मेरे पास लाओ । भय वाला आदमी रात में अंधेरे से भी डरता है । प्रश्न १. मत्वर्थ किसे कहते हैं ? २. मतु प्रत्यय के स्थान पर प्राकृत में कौन से प्रत्यय आदेश होते हैं ? ३. आलु, इल्ल, आल, उल्ल, वन्त, मन्त, इर, मण, इत्त इन प्रत्ययों के दो-दो उदाहरण दो । ४. सोना, चांदी, तांबा, लोहा, कांस्य, सीसा, रांगा, काला लोह, अभ्रक, कलइ, जस्ता, पीतल, तूतिया — इन शब्दों के लिए प्राकृत शब्द बताओ । ५. मोस, मुअ, मंच, मुच्छ, रंज, रंग, रंध, रज्ज, रम, उक्किर - इन धातुओं के अर्थ बताओ और वाक्य में प्रयोग करो । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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