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मध्यम पुरुष
तुम जाणसि-तू जानता है |जानती है। तुम अज्ज गच्छसि-तू आज जाता है|जाती है। तुम सइ भुंजसि-तू एक बार खाता है|खाती है। तुमं सणिअं भमसि--तू धीरे घूमता है/घूमती है। तुम मुहु लिहसि--तू बार-बार लिखता है/लिखती है । तुम सया सेवसि---तू सदा सेवा करता है करती है । तुम्हे गच्छित्था--तुम तुम दोनों जाते हो जाती हो। तुम्हे से वित्था--तुम तुम दोनों सेवा करते हो करती हो । तुम्हे सुणह-तुम तुम दोनों सुनते हो/सुनती हो । तुम्हे भुंजह-तुम तुम दोनों खाते हो/खाती हो। तुम्हे पासह-तुम तुम दोनों देखते हो/देखती हो । तुम्हे धावित्था---तुम तुम दोनों दौडते हो/दौडती हो । तुम्हे इच्छह---तुम/तुम दोनों इच्छा करते हो/करती हो । तुम्हे भमित्था-तुम तुम दोनों घूमते हो/घूमती हो । तुम्हे जाणह-~-तुम/तुम दोनों जानते हो/जानती हो ।
तुम्हे पिवह--तुम तुम दोनों पीते हो/पीती हो। प्राकृत में अनुवाद करो
तू बार-बार पढता है। तू आज दौडता है। तू सेवा करती है। तू घूमती है । तू धीरे सुनती है । तू बार-बार देखती है । तू सदा वहां जाती है। तू दोडती है। तू जानती है । तू इच्छा करता है। तू यहां खाता है। तू धीरे पीता है । तू शीघ्र जाता है । तू वहां बार-बार जाता है । तू आज नहीं लिखता है। तू नहीं हंसता है। तुम दोनों सेवा करते हो। तुम वहां खाते हो। तुम यहां घूमते हो । तुम नहीं देखती हो। तुम दोनों बार-बार खाती हो । तुम दोनों जल्दी जाते हो । तुम दौडते हो। तुम सदा इच्छा करते हो । तुम दोनों सुनती हो । तुम नहीं सुनते हो । तू खाता है। तुम दोनों नहीं खाते हो । तू पढता है । तुम सदा घूमते हो ।
प्रश्न
१. मध्यमपुरुष के कर्ता कौन-कौन हैं ? २. नीचे लिखी धातुओं के अर्थ बताओ-- __ भम, भुंज, धाव, सेव, पास, पिव, जाण, गच्छ, सुण, इच्छ । ३. नीचे लिखे अव्ययों के अर्थ बताओ
झत्ति, सइ, अज्ज, तत्थ, सणि, कल्लं, अत्थ, सया ४. इत्था और ह प्रत्यय किस अर्थ में लगते हैं और इनको धातु के
आगे लगाने की विधि क्या है ? :
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