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________________ मध्यम पुरुष धातु संग्रह सेव----सेवा करना पास-देखना गच्छ-जाना धाव-दौडना सुण--सुनना भम-घूमना भुंज-खाना पिव-पीना इच्छ-इच्छा करना जाण-जानना अव्यय संग्रह कल्ल (कल्यं)-कल अत्थ (अत्र)--यहां सइ, सया (सदा)-सदा तत्थ (तत्र)—वहां सइ (सकृत्)---एक बार ण, न (न)--नहीं मुहु---बार-बार झत्ति (झटिति) ----शीघ्र सणिों (शनैः)-धीरे अज्ज (अद्य)--आज ऊपर बताए गए अव्यय इसी रूप में प्रयोग में आते हैं । न इसमें कुछ जुडता है और न कुछ कम होता है । मध्यम पुरुष एक वचन बहुवचन तुमंतू तुम्हे-तुम तुम दोनों धातु प्रत्यय (वर्तमान काल) ..... सि, से इत्था , ह सि, से और ह प्रत्यय धातु के आगे जुड़ जाते हैं । इत्था प्रत्यय धातु के अ का लोप होने के बाद जुडता है । प्रयोग वाक्य तुमं गच्छसि-तू जाता है/जाती है। तूमं सेवसि-तू सेवा करता है करती है। तुमं सुणसि-तू सुनता है/सुनती है । तुम भुंजसि-तू खाता है|खाती है। तुमं पाससि-तू देखता है/देखती है। तुमं धावसि-तू दौडता है|दौडती है । तुमं भमसि-तू घूमता है/घ मती है। तुमं पिवसि-तू पीता है/पीती है । तुम इच्छसि-तू इच्छा करता है/करती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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