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________________ ८२ मत्वर्थ __ शब्द संग्रह (धातु-उपधातु वर्ग) सोना-सुवण्णं, कणगं चांदी-रययं, जायरूवं तांबा-तंबो सीसा-त लोह-लोहं जस्ता-जसदो रांगा-रंगं (दे०) कांस्य-कंसं कालालोह-कालायसं पीतल-पित्तलं अभ्रक-अब्भपडलं (दे०) तूतिया-तुत्थं (सं) कलइ-सरययरंगचुण्णं (सं) खिचडी-किसरा संस्कार–सक्कारो धातु संग्रह मीस-मिलाना, मिश्रण करना पक्खोड-प्रस्फोटन करना, बारमुअ-छोडना बार झाडना मुच्छ-~-मूच्छित होना रंग-रंगना रंज-खुशी करना रंध-रांधना, पकाना उक्किर-खोदना, शस्त्र से पत्थर रज्ज-अनुराग करना आदि पर अक्षर आदि लिखना रम-संभोग करना मत्वर्थ वह इसका है या इसमें है—इस अर्थ में संस्कृत में जो प्रत्यय होते हैं उसे मत्वर्थ प्रत्यय कहते हैं । मत्वर्थ हिन्दी में 'वाला' अर्थ को प्रकट करता है। जैसे-धनवाला, रसवाला बुद्धिवाला आदि । प्राकृत में इस अर्थ में आल, आलु आदि ६ प्रत्यय होते हैं। नियम ६३७ (आल्विल्लोल्लाल-वन्त-मन्तेत्तर-मणा मतोः २१५६) मतु प्रत्यय के स्थान में आलु, इल्ल, उल्ल, आल, वन्त, मन्त, इत्त, इर, मण ये ६ प्रत्यय आदेश होते हैं। आलु-स्नेहवान् (नेहालू) स्नेहवाला । दयालु: (दयालू) दयावाला । ईर्ष्यालुः (ईसालू) ईर्यावाला। इल्ल-शोभावान् (सोहिल्लो) शोभावाला। छायावान् (छाइल्लो) . छायावाला। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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