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________________ २६८ प्राकृत वाक्यरचना बोध वह दासी कहलाती थी। क्या ज्योतिषी की स्त्री ज्योतिष के विषय में कुछ नहीं जानती ? गंधद्रव्य बेचने वाली स्त्री का नाम क्या आप जानते हैं ? फूल चुनने वाली स्त्री दिन में ३० माला बनाती है। दूती बहुत चालाक होती है। अध्यापिका बच्चों को स्नेह से पढाती है । पान बेचने वाली दिन में १०० रु० कमाती है । धनी की स्त्री भावना से उदार नहीं है। धातु का प्रयोग करो सुशीला क्या तुम कल स्कूल में नाचोगी ? जो जितना जल्दी स्नेह करता है वह उतना ही जल्दी तोडता भी है। मुनि ने अहंकारी को भी नमाया । कल मैं आपको न्यायाधीश के सामने उपस्थित करूंगा। उसने अपनी कुल परंपरा का नाश कर दिया। मैं भगवान पार्श्वनाथ को वंदन करता हूं। क्या तुम प्रतिदिन घर में ध्यान करते हो? उसने मुझे तुम्हारे पास आने की प्रेरणा दी। ध्यानयोगी ने अपनी प्रज्ञा से तत्त्वों को प्रकर्ष से जाना । तुम्हारी स्कूल की छत से वर्षा में पानी टपकता है। प्रश्न १. द्वन्द्व समास किसे कहते हैं ? २. द्वन्द्व समास के कितने भेद हैं ? प्रत्येक भेद को समझाते हुए दो-दो उदाहरण दो। ३. द्वन्द्व समास के पांच उदाहरण दो और उन्हें दूसरे भेदों में परिवर्तन करो। ४. समास विग्रह करो-पिअरा, ससुरा, असणपाणं, तवसंजमं, पइपुत्ता, वाणरमोरहंसा, सुहदुक्खाई, सुहदुक्खं, जिणा, देवदाणवगंधव्वा, उसहवीरा, अजियसंतिणो, पुण्णपावाइं, पइदेअरपुत्तं । ५. नीचे लिखे समासितपदों में बताओ कौनसा पद शुद्ध या अशुद्ध है और क्यों? पुण्णपावं, पुण्णपावाइं। सुहदुक्खाइं, सुहदुक्खं । तवसंजमा, तवसंजमं । णाणदंसणचरित्ताई, णाणदंसणचरित्तं । ६. पनिहारी, बच्चों को खेलकूद कराने वाली, गंधद्रव्य बेचने वाली, फूल चुनने वाली, ज्योतिष की स्त्री, नौकरानी, पान बेचने वाली, नटी, दूती, दासी, धीवर की स्त्री, धनी की स्त्री, अध्यापिका-इन शब्दों के लिए प्राकृत शब्द वताओ। ७. पणच्च, पणय, पणाम, पणाम, पणास , पणिहा, पणिवय, पणोल्ल, पण्णा, __ पण्हअ-----इन धातुओं के अर्थ बताओ और वाक्यों में प्रयोग करो। ८. पट्टई, बंभणी, किच्चा, कामुआ, पणसुंदरी, चवला, पीवरी, णिउणा, सुएसी-इन शब्दों को वाक्य में प्रयोग करो तथा हिन्दी में अर्थ बताओ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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