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द्वन्द्व समास
शब्द संग्रह (स्त्री वर्ग ४) पनिहारी—पाणिअहारी
नटी-नडी गंधद्रव्य चुनने वाली-गंधिआ दूती-~-अंतीहारी फूल चुनने वाली-अंबोच्ची
दासी–दासी ज्योतिषी की स्त्री-गणई
धीवर की स्त्री-धीवरी नौकरानी-दुल्लसिआ (दे०) धनी की स्त्री-धणपत्ती, धणमंती पान बेचने वाली-डोंगिली (दे०) अध्यापिका-उवज्झायणी बच्चों को खेलकूद कराने वाली--किड्डाविया
विशाल (उदार)-उराल (वि) जन्मपत्रिका-जम्मपत्तिया भक्ति-भत्ति (स्त्री)
कृपापात्र-किवापत्तं
धातु संग्रह पणच्च-नत्य करना
पणिवय-नमन करना, वंदन पणय-स्नेह करना
करना पणाम-नमाना
पणिहा-ध्यान करना, एकाग्र पणाम-उपस्थित करना
चिंतन करना पणास-नाश करना
पणोल्ल-प्रेरणा करना पण्णा-प्रकर्ष से जानना
पण्हअ--झरना, टपकना
जिसमें सब पद प्रधान हों तथा जिसके विग्रह में च, अ या य शब्द का प्रयोग होता हो उसे द्वन्द्वसमास कहते हैं। इसके दो भेद हैं-(१) इतरेतर (२) समाहार।
(१) इतरेतर-जिसमें पृथक्-पृथक प्रत्येक शब्द का समान महत्त्व होता है उसे इतरेतर द्वंद्व कहते हैं। इसमें प्राकृत में बहुवचन ही आता है। लिंग अंतिम शब्द के अनुसार होता है।
नेत्तं अ नेत्तं य त्ति - नेत्ताई माआ च पिआ य इत्ति - पिअरा सासू य ससुरो य इत्ति= ससुरा
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