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चोरतो भयं - चोरभयं । पावाओ भीओ - पावभीओ । कम्माओ मुत्तो--- कम्ममुत्तो । आसत्तो पडिओ - आसपडिओ |
षष्ठी -- पासस्स मंदिरं — पासमंदिरं । विज्जाए मंदिरं - विज्जामंदिरं । समाहिणो द्वाणं -- समाहिद्वाणं । लोगस्स उज्जोयगरी — लोगोज्जोयगरो । धम्मस्स आलयो - धम्मालयो । गामस्स सामी - गामसामी । रट्ठस्सप - रट्ठपई ।
सप्तमी - ववहारे कुसलो —- ववहारकुसलो । पुरिसेसु उत्तमो -- पुरिसोत्तमो गयरे सेट्टो —णयरसेट्ठी । पुरिसेसु सीहो - पुरिससीहो । लोगेसु उत्तमी -- लोगुत्तमी । लेहणे दक्खो - लेहणदक्खो ।
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास का दूसरा रूप भी मिलता है । पहले पद में प, अइ अणु आदि अव्यय होते हैं और दूसरे पद में प्रथमा आदि छह विभक्तियां । इसका प्रयोग दो पदों के अन्य अर्थ में होता है, इसलिए इसे बहुव्रीहि रूपक तत्पुरुष कहते हैं । बहुव्रीहिसमास और बहुव्रीहिरूपकतत्पुरुष की पहचान विग्रह से होती है । दोनों के विग्रह में अन्तर है । बहुव्रीहिरूपकतत्पुरुष समास के विग्रह में अव्यय का अर्थ साथ में रहता है, बहुव्रीहिसमास में नहीं रहता । बहुव्रीहिसमास में उत्तरपद का लिंग नहीं रहता, वह विशेषण बन जाता है और विशेष्य के अनुसार चलता है । प्रथमा -- पपगओ आयरिओ-पायरिओ द्वितीया - अइ- अइक्कतो गंगं - अइगंग तृतीया -अणु - अणुगयं अत्थे -- अन्वत्थं चतुर्थी - अलं - अलं कुमारीए - अलंकुमारी पंचमी - उत् -उक्कंतो मग्गाओ - उम्मग्गो
प्रयोग वाक्य
अस्स जयरस्स णायिआए कि अभिहाणं अस्थि ? धाई सिसुं खेलावेइ । ट्टई सहाए णट्टइ । लोहआरी लोहआरस्स ठाणे कज्जं करेइ । सुवण्णआरी पईए सरला अत्थि । सेट्टिणी सेट्ठि सिक्खइ । खत्तिआणी वीरा पुत्ता जणेइ । भणी जावं जवइ । सुत्तगारी कप्पासहि सुत्तं करेइ । वृत्तगारी पोत्थयं लिहइ । किच्चा इंदजालिअत्तो अहिया पडू अत्थि ।
धातु प्रयोग
कूबो पsिes | कज्जकत्ता पइघरं धणं पडिलंभइ पडिलभइ वा । सावो साहुं पडिलाइ । मुणी वत्थाई पत्ताइं य पडिलेहइ । तुमं पत्तेयं पहं मा पडिवक्क । सो चरितं पडिवज्जइ । ओज्झरो पश्वयाओ पडिवमइ । अहं असुम्मि नयरे पंचवरिसाओ पडिवसामि । आयरिओ गणस्स भारं पडिवह । तिणा विसयो सम्मं पडिवायिओ ।
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