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तत्पुरुष समास
शब्द संग्रह (स्त्री वर्ग १) नायिका–णायिआ
सेठानी-सेट्टिणी धाई-धाई, धारी
क्षत्रियाणी-खत्तिआणी नर्तकी--णट्टई
ब्राह्मणी-बंभणी लुहारिन-लोहारी
सूत बनाने वाली स्त्री-सुत्तगारी सुनारिन-सुवण्णआरी
वृत्ति लिखने वाली स्त्री-बुत्तिगारी जादूगरी-किच्चा
गाने वाली-मेहरिआ, मेहरी कपास—कप्पासो, ववणं (दे०)
धातु संग्रह पडिरु-प्रतिध्वनि करना
पडिवज्ज-स्वीकार करना पडिलभ, पडिलंभ--प्राप्त करना पडिवय-ऊंचे जाकर गिरना पडिलाभ-साधु आदि को दान देना पडिवस-निवास करना पडिलेह-निरीक्षण करना
पडिवह---वहन करना पडिवक्क-उत्तर देना
पडिवाय -प्रतिपादन करना तत्पुरुष-जिस समास में उत्तर पद के अर्थ की प्रधानता होती है उसे तत्पुरुष समास कहते हैं । उत्तर पद में जो लिंग होता है, समास के बाद भी वही लिंग रहता है। पूर्वपद में सातों विभक्तियों का प्रयोग किया जाता है। पूर्व पद में जिस विभक्ति का लोप होता है उसे उस नाम का तत्पुरुष कहते हैं । द्वितीया विभक्ति का लोप हो उसे द्वितीया तत्पुरुष, तृतीया विभक्ति का लोप हो उसे तृतीया तत्पुरुष, इसी प्रकार सप्तमी विभक्ति का लोप हो उसे सप्तमी तत्पुरुष कहते हैं । समास होने के बाद एक शब्द बन जाता है । द्वितीया- संसारं अतीतो--संसारातीतो। दिवं गतो--दिवंगतो। दिवं
अव्यय है इसलिए मूल रूप में है। जिणं अस्सिओ-जिणस्सिओ।
खणं सुहा-खणसुहा। तृतीया- अहिणा दट्ठो–अहिदट्ठो। गुणेहिं संपन्नो-गुणसंपन्नो। लज्जाए
जुत्तो-लज्जाजुत्तो। विज्जाए पुण्णो-विज्जापुण्णो। चतुर्थी— नेउराय हिरणं-नेउरहिरण्णं । गामस्स हिअं-गामहि । थंभाय
दारु--थंमदारु । णयरस्स सुहं- णयरसुहं ।। पंचमी- चरित्ताओ भट्ठो-चरित्तभट्ठो। घराओ णिग्गओ-घरणिग्गओ
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