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________________ २८८ प्राकृत वाक्यरचना बोध प्राकृत में अनुवाद करो नायिका बहुत धन कमाती है। धाई बच्चे को अपना नहीं मानती है। नर्तकी को अपनी सभा में कौन बुलाता है ? लुहारिन घर-घर में जाकर लोहे की वस्तुएं बेचती है । सुनारिन सुनार को सोने की चोरी न करने की शिक्षा देती है । सेठानी का पेट बहुत बड़ा है । क्षत्रियाणी में भी वीरता है । ब्राह्मणी पूजा पाठ कुछ नहीं जानती। सूत्र बनाने वाली स्त्री दिन भर श्रम करती है। वृत्ति लिखने वाली स्त्री के अक्षर बहुत सुंदर हैं । जादूगरी कल इस शहर में खेल दिखाएगी। धातु का प्रयोग करो ध्वनि के एक क्षण के बाद प्रतिध्वनि सुनाई देती है। जो साधु को शुद्ध दान देता है वह निर्जरा का लाभ कमाता है (प्राप्त करता है)। साधु को दिन में अपना प्रत्येक वस्त्र निरीक्षण (पडिलेहण) करना चाहिए। प्रभा हर प्रश्न का उत्तर देती है। दिनेश ब्रह्मचर्य को स्वीकार करता है। जो महानगरों में निवास करते हैं, उन्हें शुद्ध हवा बहुत ही कम मिलती है । साधु उपधानतप को वहन करता है । अरुणा अपनी मान्यता (बात) का अच्छी तरह प्रतिपादन करती है । फल वृक्ष से गिर गया। प्रश्न १. तत्पुरुष समास किसे कहते हैं ? २. तत्पुरुष समास करने के बाद शब्द का लिंग कौन-सा होता है ? ३. तत्पुरुष समास में कौन-कौन सी विभक्तियों का लोप किया जाता है और उन्हें किस नाम से पुकारा जाता है ? ४. तत्पुरुष समास में क्या अव्ययों का भी प्रयोग होता है ? दूसरे पद में कितनी विभक्तियां होती हैं ? उदाहरण सहित समझाओ। ५. बहुव्रीहिसमास और बहुव्रीहिरूपकतत्पुरुष समास में क्या अन्तर है ? उदाहरण देते हुए स्पष्ट करो। ६. नायिका, धाई, नर्तकी, लुहारिन, सुनारिन, सेठानी, क्षत्रियाणी, ब्राह्मणी, वृत्ति लिखने वाली स्त्री, सूत बनाने वाली स्त्री और जादू गरी-इन शब्दों के लिए प्राकृत शब्द बताओ। ७. पडिरु, पडिलंभ, पडिलभ, पडिलाभ, पडिलेह, पडिवक्क, पडिवज्ज, पडिवय, पडिवस, पडिवह और पडिवाय धातुओं के अर्थ बताओ और अपने वाक्य में प्रयोग करो। ८. नीचे लिखे वाक्यों का समास करो और बताओ कौनसा तत्पुरुष किसणं सिओ। थेणाओ भीओ। जिणेण सरिसो । सीलेण निउणो । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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