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________________ ७४ स्त्री प्रत्यय शब्द संग्रह (वृत्ति जीवी वर्ग २) चिकित्सक-चिइच्छओ प्रतिमा बनाने वाला-पडिमायारो वैद्य-वेज्जो गवैया--गायओ, गाओ चित्रकार-चित्तयारो (सं) बजाने वाला-वायगो कारीगर-सिप्पी, कारु नाचने वाला-णच्चओ मिस्त्री-जंतिओ चटाई बनाने वाला-वरुडो ज्योतिषी-खणदो (सं) जोइसिओ बनिया-वणिओ, वावारि (वि) कंबल बेचने वाला-कांबलिओ जिल्दसाज-पोत्थारो ड्राइक्लीनर-णिण्णेजओ (सं) रसोइया-पाचओ प्रतिमा-पडिमा विवाह-विआहो छुट्टी-अवगासो भाग्य-भग्गं धातु संग्रह पडिकप्प-सजावट करना पडिखिज्ज --खिन्न होना पडिकोस-आक्रोश करना पडिजागर-सेवाशुश्रूषा करना, शाप देना, गाली देना निभाना, निर्वाह करना पडिक्ख-प्रतीक्षा करना पडिगाह-ग्रहण करना पडिक्खल---गिरना, हटना पडिच्छ-ग्रहण करना पडिक्कम-निवृत्त होना, पीछे हटना पडिणिक्खम-बाहर निकलना स्त्री प्रत्यय लिंग शब्दों को स्त्रीलिंगी शब्द बनाने के लिए प्राकृत में आ, ई (ङी) और उ प्रत्यय लगते हैं। आ और ई संस्कृत के आप तथा ईप के प्रतिरूपक हैं। (नियम २९६ स्त्रियामादविद्युतः १११५ से) विद्युत् शब्द को छोडकर स्त्रीलिंग में होने वाले शब्दों के अन्त्य व्यंजन को आ हो जाता है। अन्त्य व्यंजन 7 आ-सरित् (सरिआ) प्रतिपत् (पाडिवआ) संपद् (संपआ) ___ बाहुलकात् य श्रुति भी होती है-सरिया, पाडिवया, संपयो।। नियम ६१६ (स्वनादेडा ३३५) स्वसृ आदि शब्दों को स्त्रीलिंग में डा प्रत्यय होता है। स्वसृ (ससा) बहन । ननान्दृ (नणंदा) ननंद । दुहित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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