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स्त्री प्रत्यय
शब्द संग्रह (वृत्ति जीवी वर्ग २) चिकित्सक-चिइच्छओ
प्रतिमा बनाने वाला-पडिमायारो वैद्य-वेज्जो
गवैया--गायओ, गाओ चित्रकार-चित्तयारो (सं)
बजाने वाला-वायगो कारीगर-सिप्पी, कारु
नाचने वाला-णच्चओ मिस्त्री-जंतिओ
चटाई बनाने वाला-वरुडो ज्योतिषी-खणदो (सं) जोइसिओ बनिया-वणिओ, वावारि (वि) कंबल बेचने वाला-कांबलिओ जिल्दसाज-पोत्थारो ड्राइक्लीनर-णिण्णेजओ (सं) रसोइया-पाचओ
प्रतिमा-पडिमा
विवाह-विआहो छुट्टी-अवगासो
भाग्य-भग्गं
धातु संग्रह पडिकप्प-सजावट करना
पडिखिज्ज --खिन्न होना पडिकोस-आक्रोश करना
पडिजागर-सेवाशुश्रूषा करना, शाप देना, गाली देना
निभाना, निर्वाह करना पडिक्ख-प्रतीक्षा करना
पडिगाह-ग्रहण करना पडिक्खल---गिरना, हटना
पडिच्छ-ग्रहण करना पडिक्कम-निवृत्त होना, पीछे हटना पडिणिक्खम-बाहर निकलना स्त्री प्रत्यय
लिंग शब्दों को स्त्रीलिंगी शब्द बनाने के लिए प्राकृत में आ, ई (ङी) और उ प्रत्यय लगते हैं। आ और ई संस्कृत के आप तथा ईप के प्रतिरूपक हैं।
(नियम २९६ स्त्रियामादविद्युतः १११५ से) विद्युत् शब्द को छोडकर स्त्रीलिंग में होने वाले शब्दों के अन्त्य व्यंजन को आ हो जाता है। अन्त्य व्यंजन 7 आ-सरित् (सरिआ) प्रतिपत् (पाडिवआ) संपद् (संपआ)
___ बाहुलकात् य श्रुति भी होती है-सरिया, पाडिवया, संपयो।।
नियम ६१६ (स्वनादेडा ३३५) स्वसृ आदि शब्दों को स्त्रीलिंग में डा प्रत्यय होता है। स्वसृ (ससा) बहन । ननान्दृ (नणंदा) ननंद । दुहित
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