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प्राकृत वाक्यरचना बोध
सर्वपुरुष सर्ववचन में हसिहामु, हसेहामु हसिज्ज, हसिज्जा
हसिहाम, हसेहाम हसेज्ज, हसेज्जा
हसिहिमो, हसे हिमो हसिहिमु, हसेहिमु
हसिहिम, हसेहिम प्रयोग वाक्य
तस्स बाहुए सोरियं विज्जइ । सेणिगो अब्भास काले कुहिणीइ बलेण चलइ । नरस्स करेसु लच्छी विज्जइ। तस्स लद्धिजोगेण अंगुली फासमत्तेण रोगीण रोगो नस्सइ । मज्झ कहणं करयलआमलकं इव फुडं अस्थि । बालो भाआए थणाई पिवइ । नहा पलम्बा कहं कया ? आमनहकत्तणेण पडिसेगम्मि पीडा जाया। तेण अहंकारेण कहियं मझ मुट्ठीए सव्वा सत्ती अस्थि । तस्स वच्छं वइरं विव दढं अस्थि । तुज्झ उअरस्स किरिआ सुद्धा नत्थि । धातु प्रयोग
____राया अप्पाणं पच्चणुभवइ । पोत्थयं पढिऊणं सो पच्चप्पिणइ । सत्तदिवसे सुत्तं लिहिऊण सीसो गुरुं पच्चप्पिणइ । अहं तुम पच्चभिजाणामि । सो एगमुहुत्तपेरंतं सावज्जं जोगं पच्चाचक्ख इ । तवस्सिणा भत्तस्स भोयणं न गिहिरं। सो पच्चाणीअइ (पच्चाणे इ) । बालेण रुक्खम्मि पत्थरं खितं सो पच्चापडइ । वयं पच्चाएमो तं कज्जं पूरयिस्सामो। सूरियो पुवि पच्चायाइ । आयरिआ अत्थ पच्चाहरइ परं तस्स सरो गामत्तो बाहिं गच्छइ । पिअरं पणमिऊण पुत्तो जया पच्चुण्णमइ तया देवदंसणं जाअं । भविष्यत् प्रयोग
तुमं किं कज्जं करिहिसे ? तस्स पुत्तो कत्थ गमिस्सइ ? सीसो गुरूणं समीवे उत्तरज्ययणं सुत्तं पढिहिइ । वसंते अमुम्मि रुक्खम्मि नब्वाइं पत्ताई निक्कसिस्संति । वरिसा कया होहिइ ? तुज्झ परिक्खाए परिणामो कया बाहिं आगमिहिइ ? अहं सद्दा संचिणिस्सामि । साहुणो सव्वा भदिस्संति । पक्खिणो आगासे निसाए न उड्डीसति । अम्हे का वि न अवमन्निस्साम । सुसीला घयं ताविस्सइ। प्राकृत में अनुवाद करो
उसकी भुजा पतली है। वह ऐक हाथ की कोहनी को दूसरे हाथ की हथेली पर रखकर क्यों बैठा है ? मैं अपने हाथ से अपना भाग्य लिखूगा। वह अंगुली से मधुर वीणा बजाएगा। हथेली की रेखाएं क्या बोलती हैं ? स्तन में दूध कम है । नाखून का निचला भाग फट जाता है। तुम मुट्ठी से युद्ध करते हो । उसकी छाती चौडी है। पेट में चूहे कूदते हैं।
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