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________________ भविष्यत्कालिक प्रत्यय ( १ ) दिखाई गई है । नियम ६०५ ( भविष्यति हिरादिः ३।१६६ ) भविष्यत् अर्थ में विहित प्रत्ययों के पूर्व 'हि' का प्रयोग होता है । होहिइ, होहिन्ति, होहिइरे, होहिसि होहित्था । नियम ६०६ (मेः स्सं ३।१६६ ) भविष्यत्काल में धातु से परे मि प्रत्यय के स्थान पर 'स्सं' का प्रयोग विकल्प से होता है । होस्सं ( भविष्यामि) नियम ६०७ (मि मो मु मे स्सा हा न वा ३ । १६७ ) भविष्यत् अर्थ में मि, मो, मु, म परे रहने पर उनके पूर्व स्सा और हा विकल्प से प्रयोग होता है । होस्सामि, होहामि, होहिमि । होस्सामो, होहामी । होस्सामु, होहामु । होस्साम, होहाम । कहीं हा नहीं होता । हसिस्सामो, हसिहिमो । नियम ६०८ (मो-मु-मानां हिस्सा हित्था ३।१६८ ) भविष्यत् अर्थ में धातु से परे मो, मु और म प्रत्ययों के स्थान पर हिस्सा और हित्था आदेश विकल्प से होता है । होहिस्सा, होहित्था । पक्ष में होहिमो, होहिमु होहिम । (एच्चक्रवातुम्तव्य भविष्यत्सु ३।१५७ ) नियम ६५ से क्त्वा, तुम्, तव्य भविष्यत्काल में विहित प्रत्यय परे रहने पर अ को इ तथा ए होते हैं। हसेहिइ, हसिहि । हस् धातु के रूप प्रथमपुरुष एक वचन उत्तमपुरुष हfees, हसेस्सs हसिस्सति, हसेस्सति हस्सिए, हसेस्सए हसिस्सते, हसेस्सते सिeिs, हसे es हसि हिति, हसेहिति सिहिए, हसे हि हसिहिते हसे हिते मध्यमपुरुष हसिस्ससि, हसेल्ससि हसिस्ससे, हसेस्ससे हसि हिसि, हसे हिसि हसिहिसे हसे हिसि हसिस्सामि, हसेस्सामि हंसिहामि, हसेहामि हसि हिमि, हसेहिमि हसिस्स, हसेस्सं Jain Education International बहुवचन हसिस्संति, हसेस्संति हरिस्ते, हसेस्ते हसिहिति हहिति हि हस हिरे, हसे हिरे हसिस्सह, हसेस्सह् हसिस्सथ, हसेस्सथ हसि हित्था, हसेहित्या सिहि, हसे हि हसिस्सामो, हसेस्सामो हसिस्सामु, हसेस्सामु हसिस्साम, हसेस्साम हiिहामो, हसेहामो २६१ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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