________________
भूतकालिक प्रत्यय
२५७
एकवचन, बहुवचन प्रथम पुरुष मध्यम पुरुष
हसीअ (अहसत्, अहासीत्, जहास) उत्तम पुरुष ईअ
नियम ६०४ (तेनास्तेरास्यहेसि ३।१६४) अस् धातु को भूतार्थ प्रत्ययों के साथ आसि और अहेसि आदेश होता है। सब पुरुष और सबवचनों में रूप बनेंगे-आसि, अहेसि।
आर्ष प्राकृत में भूतकाल के उपलब्ध रूपकर- अकरिस्सं (अकार्षम् ) उत्तम पुरुष एकवचन __अकासी (अकार्षीत्) प्रथम पुरुष एकवचन बू-अब्बवी (अब्रवीत्) प्रथम पुरुष एक वचन वच-अवोच (अवोचत्) प्रथम पुरुष एकवचन बू-आह (आह) प्रथम पुरुष एकवचन बू-आहु (आहुः) प्रथम पुरुष बहु वचन दूश्-अदक्खू (अद्राक्षुः) प्रथम पुरुष एकवचन
आर्ष प्राकृत में उत्तम पुरुष अस् धातु के लिए आसिमो और आसिमु (आस्मः) रूप मिलते हैं । वद धातु का वदीअ रूप होना चाहिए पर वदासी और वयासी रूप मिलते हैं। सी प्रत्यय स्वरान्त धातुओं के लगता है परन्तु आर्ष प्राकृत में प्रायः प्रथम पुरुष के एकवचन के लिए स्था, इत्था और इत्थ प्रत्यय तथा बहुवचन के लिए इत्थ, इंसु और अंसु प्रत्यय भी मिलते हैं। था-हो--होत्था। इत्था-री-रीइत्था। भुंज- जित्था। पहार-पहारित्था, पहारेत्था ।
विहर-विहरित्था । सेव-सेवित्था । इंसु-गच्छ-गच्छिसु । कर-करिंसु । नच्च-नच्चिसु । अंसु–आह-आहंसु।
कर धातु भूतकाल में (नियम ७० से) का के रूप में बदल जाने से रूप बनते हैं-कासी, काही, काहीअ । प्रयोग वाक्य
___मुहेण मिउवयणं वदेज्जा । जीहा रसस्स गहणं करेइ । सो दंतसोहणेण दसणा सोहइ । ओट्ठम्मि फुडिआ जाआ। माया पुत्तस्स कवोलं चुंबइ । सुमेरो महुरकंठेण गीअं गाअइ । विसुद्धकिंदियस्स ठाणे अवडू अत्थि । पुरिसस्स चिबुअस्स दक्खिणभागे तिलस्स वरं फलं भवइ । आयरिअस्स कंधे जिणसासणस्स भारो अस्थि । अस्स कक्खे जूआओ कहं उप्पज्जति ? .. धातु प्रयोग
केवली समुग्घाएण कम्माइं पगड्ढईअ । भवणस्स छईअ नीरं कहं
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org