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भूतकालिक प्रत्यय
शब्द संग्रह (शरीर के अंग-उपांग २) ... मुंह-वयणं, मुहं
जीभ-जीहा, रसणा दांत-~दसणो, दंतो
ओठ- अहरो, ओट्ठो ठोडी-चिबुकं
कंठ---कंठो कंठमणि----अवडू, किआडिआ गाल-कवोलो, गल्लो कंधा-अंसो
कांख-कक्खो, भुअमूलं
दतवन --दंतसोहणं
केंद्र-किदियं फुनसी---फुडिया
तिल-तिलो जूं-जूआ
स्वर-सरो गले का—गलिच्च (वि)
धातु संग्रह पगड्ढ-खींचना
पघंस-फिर-फिर घसना पगल-झरना, टपकना
पघोल-मिलना, संगत करना पगिण्ह----ग्रहण करना
पचाल-खूब चलाना पच्चक्खीकर-~साक्षात् करना
पच्चक्ख-त्याग करना पगिज्झ -- आसक्ति का प्रारंभ करना ईर---गमन करना भूतकाल ....... प्राकृत में भूतकाल का कोई भेद नहीं है। अनद्यतन, भूतमात्र और परोक्ष इन तीनों भूतकालिक अर्थों में एक समान प्रत्यय होते हैं ।
नियम ६०२ (सी ही ही भूतार्थस्य ३३१६२) स्वरान्त धातुओं से भूतार्थ में विहित प्रत्ययों को सी, ही और हीअ आदेश होते हैं।
भूतकालिक प्रत्यय 4 एकवचन, बहुवचन . प्रथम पुरुष सी, ही, होम ) होसी, होअसी मध्यम पुरुष. सी, ही, हीअ. होही, होअही .- (अभवत्, अभूत, उत्तम पुरुष सी, ही, हीअ ) होहीअ, होअहीअ बभूव
नियम ६०३ (व्यंजनादीमः ३३१६३) व्यंजनांत (अविकरण वाली) धातुओं से भूतार्थ में विहित प्रत्ययों को ईअ आदेश होता है।
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