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________________ २५४ प्राकृत वाक्यरचना बोष होअहि, होआहि, होज्जह, होज्जाह होएज्जाहि, होएज्जे होम, होहि, होजहि, होज्जाहि होज्जसु, होज्जासु उत्सम पुरुष होमु, होअमु, होआमु होमो, होअमो, होआमो होइमु, होएम होइमो, होएमो, होज्जमो, होज्जामो (तीनों पुरुष और दोनों वचनों में होज्ज, होज्जा और होते हैं) प्रयोग वाक्य अहं गुरुं मत्थएण वंदामि । आयवेण मज्झ सिरं तवइ। सो पणिआए किं पयइ ? सिया केसा किं जराए लक्खणं भवइ ? तस्स भालम्मि पंचरेहा (रेखा) संति । भुमया मज्झे एग्गचित्तझाणेण तइयनेत्तं उग्घाडियं भवइ । तुम झंपणीओ खिप्पं कहं निमीलंति ? णयणाइं अन्तरेण संसारं तमोमयं लग्गइ । अक्खराओ किण्हा चिअ सोहंति । कण्णसोक्खेहिं सद्देहिं पेम्म नाभिनिवेसए । णासिआओ सासोसासस्स मग्गा संति । एसो नरो समस्सुरहियो कहं अत्थि ? आसरोमो पुरिसस्स लक्खणं अत्थि । धातु प्रयोग ___ सो पच्चूसे झाणं पकुव्वइ । जायपक्खा हंसा पक्कमति दिसोदिसि । सा कयवरं गिहस्स बाहिं पक्किरइ। किं तुमं जुज्झाय आसं पक्ख रसि ? सो घडं कट्ठण पक्खोडइ । मुणी हिमेण उदओल्लं कायं न पक्खोडेज्जा। को मुक्खो (मूर्ख) खारं धूलि य मग्गे गच्छंतस्स गच्छमाणस्स वा उरि पक्किरइ ? एगवरिसो बालो चलंतो मुहु मुहु पक्खलइ। सुसीलो पमाएण पत्थरं पक्खिविऊण तलायसलिलं पक्खोभइ । मुणिस्स उवएसं सुणिऊण सो सुरं (सुरा को) पक्खिवइ । प्रत्यय प्रयोग सो गुरुं पण्हं पुच्छउ । तुमं पोत्थयं अत्थ आणेसु। तुमं तं गिहं णेसु । रमेसो तं चविडं मारउ । णिद्धणा पेम्म कुणउ । सया सच्चं जंपउ । धम्म आयरउ । गुरुं उवासउ । णाणं आराहउ। सव्वेहिं सह सव्ववहारं कुणउ । अंधयारे मा पढउ। प्राकृत में अनुवाद करो - शिर शरीर का उत्तम अंग है। वह केशों में तेल डाले। कपाल (ज्योतिकेंद्र) पर सफेद रंग का ध्यान करो। मनुष्य की खोपडी तंत्र में काम आती है। क्या बुढापे में भौं भी सफेद हो जाती है। वह कौन है जो भांपण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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