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विध्यर्थ प्रत्यय
२५१ वापस उसे ग्रहण मत करो। वस्त्रों को जोडना सरल है, मनों को जोडना दुष्कर (दुक्कर) है। वह अपने पुत्रों को आज अच्छी स्कूल में प्रवेश कराएगा। जो प्रद्वेष करता है उसका मानस कलुष होता है। कुशलता के अभाव में तुम अपने वस्त्रों को मलिन करते हो। जो अधिक श्लाघा करता है वह चापलस (चाडुयार) होता है। यह वस्त्र मेरे काम में आता है। उसने शांतसुधारस पढना प्रारंभ कर दिया है। माता बच्चे पर बार-बार क्रोध करती है। विध्यर्थक प्रत्ययों का प्रयोग करो
____ मैं चाहता हूं वह नमस्कार मंत्र (णमुक्कार मंतं) का जप करे। वह तप भी करे । मैं विश्वास करता हूं वह ध्यान से पढे । संभावना करता हूं तुम विद्वान् बनो । समय है मैं ध्यान करूं। समय है स्वाध्याय करूं। चतुर्मास है मैं सूत्र पढू । यदि वह ध्यान से पढे तो पास हो जाए। यदि वर्षा हो तो अन्न अधिक हो जाए। यदि आपकी उपासना मिले तो व्याकरण का ज्ञान हो जाए। यदि वेतन मिल जाए तो घर में वस्त्र ले आऊं।
प्रश्न १. एकवचन और बहुवचन के विध्यर्थक प्रत्यय प्राकृत में कौन-कौन
से हैं ? २. इस पाठ में विध्यर्थक प्रत्ययों के अतिरिक्त आर्ष प्राकृत के रूप कौन
कौन से हैं ? ३. विध्यर्थक प्रत्ययों का प्रयोग कहां-कहां किया जाता है ? ४. दो वाक्य ऐसे बनाओ जहां एक क्रिया दूसरी क्रिया का निमित्त बनती
हो और वहां विध्यर्थ प्रत्ययों का प्रयोग होता हो? ५. सभास्थान, न्यायमंदिर, षड्यंत्रवाला घर, व्यायामशाला, गोशाला,
घुडसाला, गदहा रखने का स्थान, उदकगृह और रसाला के लिए
प्राकृत शब्द बताओ। ६. पइट्ठव, पइहा, पज, पइसार, पओस, पंस, पकत्थ, पकप्प, पकुण
और पकुप्प धातुओं के अर्थ बताओ और वाक्य में प्रयोग करो।
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