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________________ २४२ प्राकृत वाक्यरचना बोध धातु प्रयोग सुहभावणं भावेज्ज । तुमं कहं भित्ति भिदसि ? सो सरीरबलेण समत्थो अत्थि तहवि भिक्खड़ । मोणो सोहणेण सह भिडि । सुणयो परसुणयं पासिऊणं चिचअ भुक्कइ । सो तुमाइ सह कस्सि पण्हे मंतइ । भगिणी रुट्टिआओ घयेण मक्खइ । अज्जत्त बहिणीओ दिणे बले (एव) सइ मज्जति । रामो विसामि मद्दइ । प्राकृत में अनुवाद करो पानी की तरंगों की तरह मनुष्य का जीवन अस्थिर है । उसके आग्रह कारण संधि नहीं हो सकी । कपट से स्त्री की योनि मिलती है । किसी के साथ कठोर व्यवहार मत करो। क्या किसी भी व्यक्ति के सब मनोरथ फलित हुए हैं ? संयम में उद्यम करना चाहिए । यदि स्वभाव-परिवर्तन नहीं होता हो तो साधना का क्या प्रयोजन है ? भक्तिरस का प्रमुख ( पमुह ) कवि कौन है ? तुम्हारा लावण्य ईर्ष्या का कारण बनता है । अग्नि सबके साथ समान व्यवहार करती है । धातु का प्रयोग करो वह अनित्य भावना का चिंतन करता है । उसकी सैन्य रचना को तोडना चाहिए । जो भीख मांगता है वह कौन है ? तुम्हारी प्रकृति कैसी है, सबके साथ भिड जाते हो ? सदा गरिष्ठ ( गरिट्ठ ) भोजन नहीं करना चाहिए । कुत्ता रात में भौंकता है और दिन में भी। छह कानों से मंत्रणा नहीं करनी चाहिए । पुत्रवधू फुलका चुपडती है । वह शीतकाल में भी ठंडे पानी से नहाता है । नौकर ( भिच्चो ) वेतन लेकर मालिश करता है । प्रश्न १. संख्यावाची शब्दों से परे आम् को क्या आदेश होता है ? २. पंचमी विभक्ति में द्वि शब्द को क्या आदेश होता है ? ३. चत्तारि आदेश कहां होता है ? ४. पानी की तरंग, आग्रह, कपट, कठोर, मनोरथ, ईर्ष्या, उद्यम, स्वभाव, भक्ति, लावण्य, अग्नि, सैन्यरचना आदि शब्दों के लिए प्राकृत शब्द बताओ । ५. भाव, भिद, भिक्ख, भिड, भुंज, भुक्क, मंत, मक्ख, मज्ज और मद्दइन धातुओं के अर्थ बताओ तथा वाक्य में प्रयोग करो । ६. पत्थयणं, पणो, अट्टणं, णिवेसणा, छायणिआ, परिवासो, वरं गोमेयं, वेरुलियं शब्दों को वाक्य में प्रयोग करो तथा हिन्दी में अर्थ बताओ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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