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________________ २३४ धातु प्रयोग तिणा मज्झपत्तं भंजिअं । गुरुणा अविणीयसीसो भंडिओ । जो साहुणियमा न पाइ सो भंसइ । धेणू तणाई भक्खर । चणा को भज्जइ ? तुमं कत्थ भमसि ? भदंतो विणोदो अजत्ता कत्थ विहरइ ? किं तुमं सुहं भयसि ? मोहणी णियगिहेण सह भागिणिमवि भरइ । कि तुमं जाणसि, कल्लं किं भविस्सइ ? प्राकृत वाक्यरचना बोध प्राकृत में अनुवाद करो समाज का आधार परस्पर सहयोग है । इस खेत में एक कुआं है । खेत में सोने वाला पुरुष खेत की सुरक्षा करता है । वाचाल आदमी का विश्वास नहीं होता । अधिक चर्बी वाला आदमी भीतर में कमजोर होता है । श्मशान की राख का तंत्र में प्रयोग होता है। श्रावण ( सावण ) मास में मेरी बहन झूला ढूंढ रही है । सेवा का फल बहुत मधुर होता है। छावनी शहर से कितनी दूर है ? फल के साथ छिलके का भी मूल्य है । धातु का प्रयोग करो उसने अपने व्रतों को तोड दिया । समाज में बुरे आदमी की भर्त्सना करनी चाहिए । मनुष्य अपने आचरण से ही नीचे गिरता है । जो दिन में खाना खाता है उसको स्वास्थ्य लाभ मिलता है । वह गर्म रेत से चना भुनता है । साधु सबका कल्याण करते हैं । तुम रात में क्यों भ्रमण करते हो ? वह धर्म की सेवा करता है । तुम किसका पोषण करते हो ? जो धर्म करता है वह सुखी होता है । प्रश्न १. इदं शब्द के लिए इस पाठ में कितने नियम हैं और वे क्या कार्य करते हैं ? २. अदस् शब्द को अय तथा इअ आदेश कहां होता है ? २. अदस् शब्द के द को ह करने वाला कौनसा नियम है ? ४. एतद् शब्द के तकार का लोप कहां होता है ? ५. परस्पर, खेत, वाचाल, अधिक चर्बी वाला, श्मशान, झूला, सेवा, छावनी, छिलका के लिए प्राकृत शब्द बताओ ? ६. भंज, भंड, भंस, भक्ख, भज्ज, भद, भम, भय और भर धातु के अर्थ बताओ तथा अपने वाक्य में प्रयोग करो । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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