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शब्दरूप (8) युष्मद् अस्मद् शब्द
शब्द संग्रह (रत्न और मणि) मूंगा-पवालो, पवालं गोमेद-गोमेयो गोमेयं पन्ना-मरगयो, मरगयं, मरअदो नीलम-इंदनीलो, नीलमणि (पु. स्त्री) पुखराज-पुप्फ रागो, पुप्फरायो लहसुनिया- वेडुरिओ, वेरुलियं, वेडुज्जो हीरा---वइरो, वइरं
चंद्रकान्तमणि-चंदकतो सूर्यकान्तमणि-सूरकतो सर्पमणि-सप्पमणि (पु. स्त्री) स्फटिकमणि-फलिहो मोती-मुत्ता माणिक-माणिक्कं
गीला, आर्द्र---अद्द (वि)
ज्वर-जरो श्वासरोग--सासो
आयुर्वेद-आउव्वेयो
धातु संग्रह संवेल्ल-लपेटना
संवर-रोकना संवस-साथ में रहना
संविद-जानना संविभाव-...पर्यालोचन करना संमिल्ल—संकोच करना संमुज्झ---मुग्ध होना
संलव-बातचीत करना आवील-पीडना, आपीडन करना पवील-प्रपीडन करना
नियम ५३८ (युष्मवस्तं तुं तुवं तुह तुमं सिना ३६०) युष्मद् शब्द को सि सहित तं आदि पाच आदेश होते हैं। तं, तुं, तुवं, तुह, तुमं (त्वम्)
नियम ५३६ (मे तुम्भे तुज्झ तुम्ह तुम्हे उय्हे जसा ३।६१) युष्मद् शब्द को जस् सहित भे आदि छ आदेश होते हैं। भे, तुब्भे, तुज्झ, तुम्ह, तुम्हे, उय्हे (यूयम्)
नियम ५४० (भो म्ह ज्झो वा ३।१०४) युष्मद शब्द को आदेश भ को म्ह और ज्झ आदेश विकल्प से होते हैं । तुम्हे, तुझे।
नियम ५४१ (तं तुं तुमं तुवं तुह तुमे तुए अमा ३९२) युष्मद् शब्द को अम् सहित तं आदि सात आदेश होते हैं। तं, तुं, तुमं, तुवं, तुह, तुमे, तुए (त्वाम्)
नियम ५४२ (वो तुज्झ तुम्मे तुम्हे उम्हे मे शसा ३।६३) युष्मद्
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