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प्राकृत वाक्यरचना बोध ङस् के स्थान पर म्हा आदेश विकल्प से होता है। कम्हा, काओ (किससे)। जम्हा, जाओ (जिससे)। तम्हा, ताओ (उससे)।
नियम ५१३ (ईद्भ्यः स्सा से ३१६४) ईकारान्त की (किम्), जी (यत्), ती (तत्) आदि शब्दों से परे ङस् को स्सा तथा से आदेश विकल्प से होता है । किस्सा, कीसे, कीअ, कीआ, कीइ, कीए । (किसका) जिस्सा, जीसे, जीअ, जीआ, जीइ, जीए । (जिसका) तिस्सा, तीसे, तीअ, तीआ, तीई, तीए । (उसका)।
__नियम ५१४ (तदश्च तः सोक्लीबे ३।८६) तद् और एतद् के तकार को सि (नपुंसक छोडकर) परे होने पर स हो जाता है।
नियम ५१५ (वैतत्तदः ३१३) एतद् और तद् शब्द के अकार से परे सि को डो विकल्प से होता है। एसो, एस (एषः) सो णरो, स णरो (स नरः)।
नियम ५१६ (तदो णः स्यादौ क्वचित् ३७०) तद शब्द को कहींकहीं ण आदेश होता है स्यादि विभक्ति परे हो तो । णं पेच्छ (तं पश्येत् स्त्रीलिंग में भी हत्थुन्नामिअ-मुही णं तिअडा (हस्तोन्नामितमुखी तां त्रिजटा)।
नियम ५१७ (तदो डोः ३६७) तद् शब्द से परे ङसि को डो (ओ) आदेश विकल्प से होता है । तो, तम्हा (तस्मात्) ।
नियम ५१८ (वेदं तदेतदो डसाम्भ्यां से-सिमो ३।८१) इदम्, तद् तथा एतद् शब्द से परे ङस् और आम् हो तो शब्द सहित ङस् को से और आम् को सिं आदेश विकल्प से होता है। इदं+ ङस् =से, तद्+ङस् =से, एतद् + ङस् -से, इदं-आम् = सि, तद्+आम् =सिं, एतद्+आम्=सिं।।
नियम ५१६ (कितभ्यां डासः ३१६२) किं तथा तद् शब्दों से परे आम को डास (आस) आदेश विकल्प से होता है । कास, केसि । तास, तेसि ।
नियम ५२० (किमः कस्त्र-तसोश्च ३७१) कि शब्द को क होता है, सि आदि विभक्ति, त्र और तस् प्रत्यय परे हो तो। को, के, कं, केण । त्रकत्थ । तस्--कओ, कत्तो, कदो ।
नियम ५२१ (किमो डिणो-डीसौ ३१६८) किं शब्द से परे ङसि को डिणो (इणो)तथा डीस (ईस) आदेश विकल्प से होता है। किणो, कीस, कम्हा (कस्मात्) ।
. नियम ५२२ (किमः किं ३८०) नपुंसक लिंग में किं शब्द से परे सि और अम् प्रत्यय हो तो विभक्ति प्रत्यय सहित शब्द को कि आदेश होता है। किं, किं। प्रयोग वाक्य
तस्स दारम्मि पडिल्ली किमट्ठ अत्थि ? मज्झ पडिवेसिओ मए सह सव्ववहारं करेइ । सुण्णगिहम्मि भूओ भमइ । तुझ पणो देसस्स हियाय नत्थि ।
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