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________________ ५६ शब्दरूप (४) शब्द संग्रह (पशु वर्ग २) सूअर--सूअरो, वराहो दुष्ट बैल-अलमलो गीदड-सियारो हरिण-हरिणो नीलगाय-गवयो भेड-भेसो ऊंट-कमेलयो गधा-गद्दभो, रासहो बैल-वसहो, बइल्लो, बच्छाणो धातु संग्रह दुह-दुहना दूराय--दूरवर्ती मालूम होना दुह-द्रोह करना अइया--जाना, गुजरना दू-उपताप करना, काटना देव-चाहना, आज्ञा करना, दूइज्ज-गमन करना, जाना जीतने की इच्छा करना दूभ---दु:खित होना देह-देखना दोह-द्रोह करना नकारान्त राजन और आत्मन् शब्द नियम ४८६ (राजः ३४६) राजन् शब्द के न् का लोप होने पर अंतिम वर्ण को विकल्प से आ होता है। राया। नियम ४८७ (जसशस्ङसि, ङसां णो ३.५०) राजन् शब्द से परे, जस्, शस्, ङसि और ङस् प्रत्ययों को विकल्प से णो आदेश होता है। रायाणो, राया । रायाणो, राया । राइणो, रणे । राइणो, रण्णो (राया)। नियम ४८८ (इर्जस्य णो णा डौ ३१५२) राजन् शब्द से संबंधित जकार के स्थान पर णो, णा और डि परे रहने पर इकार विकल्प से होता है। राइणो, राइणा, राइम्मि । पक्षे रायाणो, रणो। रायणा, राएण । रायम्मि । नियम ४८६ (इणममामा ३।५३) राजन् शब्द से संबंधित जकार को अम् और आम् के सहित इण आदेश विकल्प से होता है। राइणं । पक्षे रायं, राईणं। नियम ४६० (टा णा ३।५१) राजन् शब्द से परे टा को णा आदेश होता है । राइणा, रण्णा । पक्षे राएण । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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