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शब्दरूप (४)
२२१ नियम ४६१ (ईभिस्भ्यसाम्सुपि ३३५४) राजन् शब्द से संबंधित जकार को भिस्, भ्यस्, आम् और सुप् परे रहने पर विकल्प से इकार होता है। भिस--राईहि । भ्यस्-राईहि । आम् - राईणं । सुप्--राईसु।
नियम ४६२ (आजस्य-टा-सि-डस्सु सणाणोष्वण ३२५५) राजन् शब्द से संबंधित आज को विकल्प से अण आदेश होता है, टा, सि, इस को आदेश होने वाले णा तथा णो परे हो तो। रण्णा, राइणो। रणो राइणो । रणो राइणो । पक्षे राएण, रायाओ, रायस्स।
नियम ४६३ (पुंस्थ न आणो राजवच्च ३१५६) पुंलिंग अन्नन्त शब्द के अन् को विकल्प से आण आदेश होता है। पक्ष में यथादर्शन राजन शब्द की तरह रूप चलते हैं। अप्पाणो, अप्पाणा । अप्पाणं, अप्पाणे । अप्पाणेण, अप्पाणे हि । अप्पाणाओ, अप्पाणासुंतो। अप्पाणस्स, अप्पाणाण । अप्पाणम्मि, अप्पाणेसु । पक्षे राजन्वत् ।
नियम ४६४ (आत्मनष्टो णिआ जइआ ३१५७) आत्मन् शब्द से परे टा को विकल्प से णिआ तथा णइआ आदेश होते हैं। अप्पणिआ, अप्पणइआ। अप्पाणेण । ० आत्मन् शब्द अत्त, अप्प, अप्पाण शब्दों में परिवर्तित हो जाता है।
अप्पाण शब्द के रूप देव शब्द की तरह चलते हैं। अत्त और अप्प के लिए देखें परिशिष्ट १ संख्या १५ । ० राजन् शब्द के सारे रूप परिशिष्ट १ संख्या १४ में देखें। प्रयोग वाक्य
सूअरो पुरीसं चिअ भक्खइ। सियारो माणुससिसुमवि खाअइ । छाउरनयरस्स बाहिं वणे किण्हो हरिणो वि अत्थि । लाडणुणयरस्स सुआणगढणयरस्स य अंतरा मए गवयो दिट्ठो। मेसस्स दुद्धं पिवंति केइ जणा। कमेलयो मरुभुमीए जाणं अस्थि । कमेल यो उरम्मि नीराणं संगहो करेइ । गद्दभो रच्छाए भमइ । बइल्लो भारं वहइ । अलमलो सरलवसहा कुबुद्धि देइ ।। धातु प्रयोग
___ तस्स माआ धेणुओ दुहइ। सुशीला सीयाइ दुहइ (द्रोह करती है) कज्ज काऊणं सो कहं दूअइ ? गामाणुगामं दूइज्जमाणा मुणिणो अत्थ कया आगमिस्संति ? तस्स पुत्तो पहसियो व्व (उपहास किए हुए की तरह) दूभइ । पेम्माभावे पुत्तो वि दूरायइ। तिणा पिटु, कि हरिणो अइयाइंसु ? सो इंदियाई देवइ । कि कोइ सूरियं देहइ ? तुम मज्झ कहं दोहसि ? प्राकृत में अनुवाद करो
सूअर गांवों में अधिक मिलते हैं। गीदड जंगल में रहते हैं और छल से आक्रमण करते हैं। हरिण छलांग लगाकर बहुत तेज दौडता है। भेड
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