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प्राकृत वाक्यरचना बोध
साधु से प्रार्थना की कि मेरे घर पधारने की कृपा करो । साधु निस्वार्थ उपदेश देते हैं । आचार्य शिष्य को उसकी त्रुटि पर ध्यान दिलाते हैं । जो गति करता है वह अपने गन्तव्य स्थान पर पहुंच जाता है ( पहुच्चइ ) । आज कौन राजा का अभिषेक करेगा ? जीवन का दान देना बहुत तुम्हारा व्यवहार मेरे हृदय को तोडता है । अध्यापक सेठ से पुस्तकें दिलाता है ।
कठिन कार्य है । गरीब लडके को
प्रश्न
१. पुंलिंग इकारान्त शब्द से परे ङसि और ङस् को क्या आदेश किस नियम से होता है ? उसका क्या रूप बनता है ? लिखो ।
२. शस्, भिस्, भ्यस् और सुप् प्रत्यय परे होने पर अकारान्त पुंलिंग शब्द के उकार को दीर्घ किस-किस नियम से होता है ? उसके रूप. भी लिखो ।
३. सि प्रत्यय परे होने पर इकारान्त शब्द के इकार को दीर्घ करने वाला कौन सा नियम है ?
४. पुंलिंग उकारान्त शब्द से परे जस् और शस् प्रत्यय को किस नियम से क्या-क्या होता है ? उसका रूप भी लिखो ।
५. चमगादड, उल्लू, बत्तक, बाज, गौरैया, मुर्गा, क्रौंच, टिटिहिरी, भृंग और चाष पक्षियों के लिए प्राकृत के शब्द लिखो ।
६. दम, दय, दव, दार दाव, अइंच, दलय, दवाव और दलाव धातुओं के अर्थं बताओ तथा उन्हें वाक्य में प्रयोग करो ।
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