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शब्दरूप (२)
चमगादड-जउआ बत्तक--बत्तओ भंग-भिंगो मुर्गा-कुक्कुडो चाष-चासो
शब्द संग्रह (पक्षी वर्ग ३)
उल्लू-उलूओ, उलूगो बाज-सेणो गौरैया-चडयो क्रौञ्च-कोचो टिटिहिरी-टिट्टिभो
आकाश-आयासं
धातु संग्रह दम-दमन करना, निग्रह करना दव-गति करना दय--कृपा करना, चाहना
अइंच--- अभिषेक करना दलय-देना
दार-विदारना, चूर्ण करना, तोडना दलाव-दिलाना
दाव-दान करवाना, दिलाना दवाव दिलाना
पुंलिंग अकारान्त, इकारान्त, उकारान्त शब्द नियम ४७० (अपलीबे सौ ३१६) नपुंसक को छोडकर सि परे रहने पर इकार और उकार दीर्घ हो जाता है । मुणी, साहू।।
नियम ४७१ (पुंसि जसो डउ डओ वा ३।२०) पुंलिंग में इकार और उकार से परे जस् को डउ (अउ) और डओ (अओ) आदेश होते हैं । मुणउ, मुणओ । साहउ, साहओ।
नियम ४७२ (जस्-शसो ो वा ३३२२) पुंलिंग में इकार और उकार से परे जस् तथा शस् को णो आदेण विकल्प से होता है। मुणिणो, मुणी। साहुणो, साहू।
नियम ४७३ (लुप्ते शसि ३.१८) शस् का लोप होने पर इकार और उकार दीर्घ हो जाता है। मुणी, बुद्धी, तरू, धेणू ।।
नियम ४७४ (इदुतो दीर्घः ३।१६) भिस्, भ्यस्, सुप् परे रहने पर इकार और उकार दीर्घ हो जाता है। मुणीहिं, बुद्धीहिं, दहीहिं । साहहिं, घेणूहिं, महिं । मुणीओ, बुद्धीओ, दहीओ। साहूओ, धेणूओ, महूओ । मुणीसु, बुद्धीसु, दहीसु । साहूसु, धेणू सु, महूसु ।
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