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________________ शब्दरूप ( १ ) २१३ है । यहां दीवार पर थूकना निषेध है । किसी का तिरस्कार नहीं करना चाहिए | वह पार्श्वनाथ की स्तुति किस प्रयोजन से करता है ? तुम्हारे दर्शन मात्र से मैं संतुष्ट हो गया । मार्ग में चलने वाला सांप बिना सताए किसी को नहीं काटता है । उसने अपनी विद्यापीठ विनयकुमार को दिखलाई । जो अपना अवगुण देखता है वह साधक है । प्रश्न १. प्राकृत में द्विवचन का क्या स्थान है ? उसको बताने के लिए क्या प्रयोग करना चाहिए ? २. लिंग का निर्धारण करने के लिए प्राकृत में सामान्य नियम क्या है ? ३. प्राकृत में कितनी विभक्तियां होती हैं ? ४. सभी विभक्तियों के एकवचन और बहुवचन के प्रत्यय बताओ ५. पुंलिंग के अकारान्त शब्द के लिए टा, सुप, आम्, और भ्यस् प्रत्ययों के लिए क्या-क्या नियम हैं ? बताओ ? ६. तीतर, वटेर, खंजन, पपीहा, सारस, चकवा, हंस, मोर, कंक, कुरर, घोंसला और डाली के लिए प्राकृत शब्द बताओ । ७. थव, थिंप, थुक्क थुक्कार, थुण, थेप्प, दंस, दंसाव और दक्ख धातु के अर्थ बताओ और अपने वाक्य में प्रयोग करो । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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