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प्राकृत वाक्यरचना बोध
से निकलने की जल्दी करते हैं। आचार्य तुलसी ने नारी समाज को ऊंचा उठाया है। वह चलते-चलते स्तंभित हो गया, न जाने किसने क्या कर दिया ? समाज में परिवर्तन लाने वाले को पहले अपने क्रांतिकारी (कंतिगरो) विचार सभा या भाषण में बिखेर देना चाहिए। उसने अपने घर में भगवान पार्श्वनाथ की मूर्ति स्थापित की। जो मेघ गर्जता है वह बरसता नहीं। अपने भाषण या गीत पर अहंकार नहीं करना चाहिए। वह सभा के लिए स्थान को आच्छादित करता है। आचार्य श्री की उपस्थिति में प्रवचन सभा में भाषण देने वाला मुनि थरथर कांपता है।
प्रश्न
१ व्यत्यय किसे कहते हैं ? २. नीचे लिखे शब्दों में बताओ किस नियम से किस शब्द में किस वर्ण
का व्यत्यय हुआ है ? कणेरु, वाणारसी, अचलपुरं, हलिआरो, हलुअं,
सय्हो, आणालो, मरहट्ठें, णडालं । ३. कौआ, चील, कोयल, गीध, कबूतर, सुआ, बगुला, मैना, चकोर, आडी
और चोंच के लिए प्राकृत के शब्द बताओ। ४. तलहट्ट, तुर, थंग, थंभ, विकिर, थक्कव, थण, थब्भ, थय और थरथर धातुओं के अर्थ बताओ तथा उन्हें अपने वाक्य में प्रयोग करो।
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