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________________ व्यत्यय २०५ लहुअं)। नियम ४५१ (ो ह्योः २।१२४) ह्य शब्द में ह और य का व्यत्यय विकल्प से होता है । सद्यः (सय्हो, सज्झो)। नियम ४५२ (आलाने लनोः २११७) आलान शब्द में ल और न का व्यत्यय होता है। आलानः (आणालो)। नियम ४५३ (महाराष्ट्रे ह-रो. २०११६) महाराष्ट्र शब्द में ह और र का व्यत्यय होता है । महाराष्ट्रम् (मरहट्ठ)। नियम ४५४ (ललाटे ल-डोः २।१२३) ललाट शब्द में ल और ड का व्यत्यय होता है । ललाटम् (णडालं, णलाडं)। प्रयोग वाक्य पक्खीसु वायसो धुत्तो अत्थि । चिल्ला आयासम्मि उड्डेइ । कवोओ उज्ज़ पक्खी अत्थि। कीरो हरिअकायो रत्तचंचू य भवइ । कोइलाए सद्दो महरो कण्णपिओ लग्गइ। गिद्धस्स दिदी दूरगामिणी भवइ । बगाणं झाणं पसिद्ध अस्थि । अमुम्मि गामम्मि सारिआ नत्थि । चकोरो जोण्हापिओ भवई । आडी रत्तिदिवा जले वसइ । धातु प्रयोग ___पंजरम्मि पक्खी सच्छंदो न भवइ। रट्टपई सुवउज्जाणं सहत्थेहि पइदिवहं तलहट्टइ। अत्थंगयस्स सूरियस्स पुवं गामे गमिउ मुणी तुरड । चंडालं थंगिउको चेट्टइ ? मंतपओगेण सो तस्स गई थंभइ । रामो अवक्खरं बाहिं विकिरइ । जयायरिओ सरुवससिमृणि अत्थ थक्कविऊण विहारं अरिंसु । अज्ज मेहो गगणे थणइ कि वरिसा होस्सइ ? तस्स पासे धणं नत्थि तहवि थब्भइ। सो वरिसाए अद्दकायो थरथरइ । तुमं वत्थेण ठाणं थयसि । प्राकृत में अनुवाद करो कौआ वृक्ष पर बैठा हुआ है। चील रोटी को लेकर आकाश में उड गई। कबूतर रात को यहां बैठते हैं। सुआ क्या खाता है ? कोयल और कौए का भेद उसकी बोली (वाणी) से लगता है। गीध पशु के कलेवर (सवं) को खाने दूर से उडकर आया है। बगुला और बगुली दोनों साथ-साथ उड गए । मैना क्या खाती है, क्या तुम जानते हो ? चांदनी में चकोर प्रसन्न होता है। आडी राजसमंद झील में बहुत हैं। पिंजडा आखिर पिंजडा है चाहे वह सोने का क्यों न हो ? धातु का प्रयोग करो उसने अपना बगीचा कल क्यों नहीं सींचा ? आग लगने पर लोग घर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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