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कौआ काओ, वायसो चील - चिल्ला
कबूतर - कवोओ
सुआ - सुओ, कीरो
चकोर - चकोरो
आडी - आडी (स्त्री)
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चोंच - चंचू (स्त्री)
व्यत्यय
शब्द संग्रह (पक्षी वर्ग १ )
तलहट्ट -- सींचना
तुर -- जल्दी करना
थंग — उन्नत करना, ऊंचा करना थंभ -- स्थिर होना, रुकना विकिर- फेंकना, विखेरना
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कोयल- कोइलो, परहुतो कोइला गोध- -गिद्धो
बगुला -- बयो, बगो बगुली - बगी
मैना सारिआ
पिंजडा - पंजरं, पिंजरं
धातु संग्रह
थक्कव -- रखना, स्थापना करना थण-गर्जना
थब्भ - अहंकार करना
थय-- आच्छादन करना
थरथर --- थरथर कांपना
वर्ण परिवर्तन ( व्यत्यय )
शब्द में एक वर्ण का परस्पर स्थान परिवर्तन होता है उसे विपर्यास
या व्यत्यय कहते हैं ।
नियम ४४६ ( करेणु - वाराणस्योः र णो व्यंत्यय: २ ११६ ) स्त्रीलिंगी करेणु और वाराणसी शब्दों में र और ण का परस्पर व्यत्यय हो जाता है । करेणु --- कणेरू । वाराणसी - वाणारसी ।
नियम ४४७ (अचलपुरे च-लोः २।११८ ) अचलपुर शब्द में च और ल का व्यत्यय होता है । अचलपुरं (अलचपुरं )
नियम ४४८ ( हवे हृदो : २।१२० ) हद शब्द के हकार और दकार का व्यत्यय होता है । हृदः (द्रहो ) | आर्षे -- हरए | धम्मे हरए ।
नियम ४४६ ( हरिताले रलोर्न वा २।१२१) हरिताल शब्द में र और ल का व्यत्यय विकल्प से होता है । हरिताल: (हलिआरो, हरिआलो ) । नियम ४५० ( लघुके ल-होः २।१२२) लघुक शब्द में घ को ह करने के बाद ल और ह का व्यत्यय विकल्प से होता है । लघुकम् (हलुअं,
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