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________________ ५४ कौआ काओ, वायसो चील - चिल्ला कबूतर - कवोओ सुआ - सुओ, कीरो चकोर - चकोरो आडी - आडी (स्त्री) o चोंच - चंचू (स्त्री) व्यत्यय शब्द संग्रह (पक्षी वर्ग १ ) तलहट्ट -- सींचना तुर -- जल्दी करना थंग — उन्नत करना, ऊंचा करना थंभ -- स्थिर होना, रुकना विकिर- फेंकना, विखेरना Jain Education International कोयल- कोइलो, परहुतो कोइला गोध- -गिद्धो बगुला -- बयो, बगो बगुली - बगी मैना सारिआ पिंजडा - पंजरं, पिंजरं धातु संग्रह थक्कव -- रखना, स्थापना करना थण-गर्जना थब्भ - अहंकार करना थय-- आच्छादन करना थरथर --- थरथर कांपना वर्ण परिवर्तन ( व्यत्यय ) शब्द में एक वर्ण का परस्पर स्थान परिवर्तन होता है उसे विपर्यास या व्यत्यय कहते हैं । नियम ४४६ ( करेणु - वाराणस्योः र णो व्यंत्यय: २ ११६ ) स्त्रीलिंगी करेणु और वाराणसी शब्दों में र और ण का परस्पर व्यत्यय हो जाता है । करेणु --- कणेरू । वाराणसी - वाणारसी । नियम ४४७ (अचलपुरे च-लोः २।११८ ) अचलपुर शब्द में च और ल का व्यत्यय होता है । अचलपुरं (अलचपुरं ) नियम ४४८ ( हवे हृदो : २।१२० ) हद शब्द के हकार और दकार का व्यत्यय होता है । हृदः (द्रहो ) | आर्षे -- हरए | धम्मे हरए । नियम ४४६ ( हरिताले रलोर्न वा २।१२१) हरिताल शब्द में र और ल का व्यत्यय विकल्प से होता है । हरिताल: (हलिआरो, हरिआलो ) । नियम ४५० ( लघुके ल-होः २।१२२) लघुक शब्द में घ को ह करने के बाद ल और ह का व्यत्यय विकल्प से होता है । लघुकम् (हलुअं, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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