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सस्वर व्यंजन आदेश
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उसके आगे स्वर सहित व्यञ्जन को एकार विकल्प से होता है। कदलम् (केलं, कयलं) । कदली (केली, कयली)।
नियम ४३८ (वेतः कणिकारे १।१६८) कणिकार शब्द में आदि स्वर और उससे आगे स्वर सहित व्यञ्जन को ए विकल्प से होता है। कर्णिकार: (कण्णेरो, कण्णिआरो)।
नियम ४३६ (अयौ वैत् १११६६) अयि शब्द के आदि स्वर और उससे आगे के स्वर सहित व्यंजन को ए आदेश होता है । अयि (ए)।
नियम ४४० (ओत्यूतर-बदर-नवमालिका-नवफालिका-पूगफले ११७०) पूतर, बदर, नवमालिका, नवफालिका और पूगफल शब्दों के आदि स्वर और उससे आगे के स्वर सहित व्यंजन को ओ आदेश होता है। पूतरः (पोरो) बदरम् (बोर) बदरी (बोरी) नवमालिका (नोमालिआ) नवफालिका (नोहलिआ) पूगफलम् (पोप्फलं)।
- नियम ४४१ (न वा मयूख-लवण-चतुर्गुण-चतुर्थ-चतुर्वश-चतुर्वारसुकुमार-कुतूहलोदूखलोलुखले १।१७१) मयूख, लवण, चतुर्गुण, चतुर्थ, चतुर्दश, चतुर्वार, सुकुमार, कुतूहल, उदूखल और उलूखल शब्दों के आदि स्वर और उसके आगे सस्वर व्यञ्जन को ओकार आदेश विकल्प से होता है। मयूखः (मोहो, मऊहो) लवणम् (लोणं) चतुर्गुणः (चोग्गुणो चउग्गुणो) चतुर्थः (चोत्थो, चउत्थो) चतुर्दश (चोद्दह, चउद्दह) चतुर्दशी (चोदसी, चउद्दसी)। चतुर्वारः (चोव्वारो, चउव्वारो) सुकुमारः (सोमालो, सुकुमालो) कुतूहलम् (कोहलं, कोउहल्लं) उदूखल: (ओहलो, उऊहलो) उलूखलम् (ओक्खलं, उलूहलं)।
नियम ४४२ (अवापोते १११७२) अव और अप उपसर्ग तथा विकल्प अर्थ में निपात उत शब्द के आदि स्वर और उससे आगे स्वर सहित व्यञ्जन को ओ विकल्प से होता है। अव--अवतरति (ओअरइ, अवयरइ)। अवकाशः (ओआसो, अवयासो)। अप----अपसरति (ओसरइ, अवसरइ)। उत-उत वनम् (ओ वणं, उअवणं)। उत घनः (ओ घणो, उअ घणो)। ..
नियम ४४३ (कच्चोपे १११७३) उप शब्द के आदि स्वर तथा उससे आगे सस्वर व्यंजन को ऊ और ओ आदेश विकल्प से होता है। उपहसितम् (ऊहसि, ओहसिअं, उवहसिअं) उपाध्यायः (ऊज्झाओ, ओझाओ, उवज्झाओ) उपवास: (ऊआसो, ओआसो, उववासो) ।
नियम ४४४ (उमो-निषण्णे १११७४) निषण्ण शब्द के आदि स्वर तथा उससे आगे स्वर सहित व्यञ्जन को उम आदेश विकल्प से होता है । निषण्णः (णुमण्णो, णिसण्णो)। .... नियम ४४५ (प्रावरणे अङ ग्वाऊ १३१७५) प्रावरण शब्द के आदि
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