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________________ २०२ प्राकृत वाक्यरचना बोध स्वर तथा उससे आगे सस्वर व्यञ्जन को अङ्ग, और आज विकल्प से आदेश होते हैं । प्रावरणम् (पङ्ग, रणं, पाउरणं, पावरणं ) । प्रयोग वाक्य पुन्नं अहं अप्पाणं संवरेमि । सो अईयस्स समरणं न करेइ । झाणे अणागयस्स कप्पणा न काअव्वा । पंचवरिसेहिं एगो जुगो भवइ । वसंतम्मि रुक्खस्स नव्यपत्ताइं पुप्फाई य णिक्कसंति । अहं गिम्हकाले आयवं अहियं अणुभवामि । अत्थ पएसे वरिसस्स फलं वरिसाए अवरिं निब्भरं अस्थि । सरयम्मि आयवस्स सीयस्स य संगमो भवइ | हेमंतम्मि जणा ओणियाइं वत्थाई परिहांति । सिसिरे सीउम्मीआ सरीरो धुणइ । सो वक्खाणस्स अभासं पकरइ । धातु प्रयोग पिआ पोत्तं णिज्झइ । सम्मज्जओ सूअरं तडफडइ । गुरू सीसं ताडेइ । कडुवणेण संबंधी तुडइ । उवसमेण कोहो तणुअइ । सासू पुत्तवहुं तज्जइ । निवो सुवरज्जं तणिउ इच्छइ । सोवणिओ सुवण्णं तोलइ । जो परिवारे ववहारे तक्कइ तस्स संबंधो खिप्पं तुडइ | प्राकृत में अनुवाद करो वर्तमान काल को सफल करो । केवल अतीत के गुण मत गाओ । भविष्य के लिए विकास की योजना बनाओ । युग परिवर्तनशील होता है । इस वर्ष में तुम्हें कितना लाभ हुआ ? वसंत ऋतु मन को प्रिय लगती है । ग्रीष्म में प्यास अधिक लगती है । वर्षा ऋतु में साधु एक स्थान पर रहते हैं । शरद पूर्णिमा की रात्रि में हम सूक्ष्म अक्षर पढते हैं । हेमंत ऋतु में मरुभूमि की पदयात्रा कष्टप्रद होती है । का कार्य कब प्रारम्भ करेगा ? वह अपने विभाग धातु का प्रयोग करो तुम किससे स्नेह करते हो ? है । राजपुरुष चोर को पीटते हैं । कम खाने से शरीर पतला होता है । विस्तार करना चाहिए। वह अपने करते हो । प्रश्न १. स्वर और सस्वर व्यंजन किसे कहते हैं और उसको क्या आदेश होता है ? किन-किन नियमों से स्वर और सस्वर व्यञ्जनों को एकार आदेश २. किसी प्राणी को तडफडाना बहुत बुरा वृक्ष की डाली हवा से टूट गई । अधिक सेठ नौकर को डांटता है। धर्म का तोलता है। तुम बात-बात में तर्क को Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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